बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐसे फर्जी, गलत जाति प्रमाण पत्र धारी शासकीय सेवकों को जिन्हें न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त नहीं है, उन्हें सेवा से तत्काल बर्खास्त करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा है कि स्थगन आदेश प्राप्त सम्पूर्ण प्रकरणों में महाधिवक्ता छत्तीसगढ़ के माध्यम से शीघ्र सुनवाई करने के लिए उच्च न्यायालय से अनुरोध किया जाएगा।
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758 प्रकरणों की शिकायत
जानकारी के मुताबिक उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण, छानबीन समिति रायपुर को वर्ष 2000 से लेकर 2020 तक फर्जी जाति प्रमाणपत्र की कुल 758 शिकायतें मिलीं। जांच के बाद इनमें से 267 प्रकरणों में जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं। जिसे संबंधित विभागों को कार्रवाई के लिए भेजा गया है।
इस वजह से कार्रवाई अटकी
बताया जाता है कि फर्जी जाति प्रमाणपत्र के अधिकांश प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन है अथवा स्थगन आदेश प्राप्त हैं। विगत दो वर्षों में 75 प्रकरण फर्जी, गलत पाए गए हैं। इन प्रकरणों में उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्ति के बाद कई अधिकारी, कर्मचारी अभी भी महत्वपूर्ण पदोंं में कार्यरत हैं।
सर्व आदिवासी समाज के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बीएस रावटे का कहना है, फर्जी प्रमाणपत्र की पुष्टी होने के बाद छानबीन समिति सीधे एफआईआर दर्ज नहीं करती है। समिति प्रकरण संबंधित विभाग को भेजती है। इस अवधि में कर्मचारी कोर्ट चला जाता है।
इन विभागों के कर्मचारियों के जाति प्रमाणपत्र मिले फर्जी
स्कूल शिक्षा विभाग- 44
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग-15
सामान्य प्रशासन विभाग-14
जल संसाधन विभाग-14
कृषि विभाग-14
ग्रामोद्योग विभाग-12
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग- 9
आदिमजाति तथा अनुसूचित जाति विभाग- 8
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग- 8
राजस्व विभाग- 7
गृह विभाग- 7
उर्जा विभाग-7
पशुधन विभाग व मछलीपालन विभाग- 6
कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग- 5
नगरीय प्रशासन विभाग- 5
वन विभाग-5
महिला एवं बाल विकास विभाग- 4
वाणिज्य एवं उद्योग विभाग- 4
सहकारिता विभाग- 3
उच्च शिक्षा विभाग- 3
लोक निर्माण विभाग- 2
योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग- 2
(नोट- इन विभागों में एक-एक प्रकरण-वाणिज्यकर विभाग, खेल एवं युवा कल्याण विभाग, समाज कल्याण विभाग, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय, जनसम्पर्क विभाग, आवास एवं पर्यावरण विभाग।)