scriptOpinion : 1.50 करोड़ में भगाए मच्छरों के डंक से 200 लोग पीड़ित | 200 people suffering from mosquito bites were driven away in Rs 1.50 crore at Raipur | Patrika News
रायपुर

Opinion : 1.50 करोड़ में भगाए मच्छरों के डंक से 200 लोग पीड़ित

नगर निगम द्वारा मच्छरों को भगाने के लिए फॉगिंग कराई गई, लेकिन मच्छरों का प्रकोप नहीं हुआ कम

रायपुरJan 17, 2025 / 02:23 am

Anupam Rajvaidya

Opinion
मच्छरों का प्रकोप राजधानी रायपुर सहित छत्तीसगढ़ के सभी शहरों में आजकल बारहों महीने रहने लगा है। पहले बारिश के दिनों में ही मच्छरों का प्रकोप देखा जाता था। उन्हीं तीन-चार माह में मच्छरजनित बीमारियां भी फैलती थीं। मच्छरों से बचाव के लिए प्रशासन द्वारा विभिन्न उपाय किए जाते हैं और लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाए जाते हैं। रायपुर में मच्छरों के बढ़ने के प्रमुख कारणों में जगह-जगह कूड़े का ढेर, नालियों की नियमित साफ-सफाई नहीं होना शामिल है। गंदगी होने और उन जगहों पर पानी जमा होने से मच्छर ज्यादा पनपते हैं। राजधानी की सफाई व्यवस्था का हाल तो सब जानते ही हैं।
हां, एक बात और यह है कि रायपुर नगर निगम द्वारा मच्छरों को भगाने के लिए वार्डों में फॉगिंग कराई जाती है। फॉगिंग के लिए हर साल लाखों रुपए खर्च कर दिए जाते हैं। इस बीच, पिछले साल मार्च 2024 में नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने सभी जोन आयुक्तों के पत्र लिखकर फॉगिंग पर रोक लगा दी थी। स्वास्थ्य विभाग ने तब यह तर्क दिया था कि फॉगिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक व डीजल के धुएं से बीमार और कमजोर व्यक्तियों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है… फॉगिंग उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। साथ ही कहा गया था कि डीजल व पेट्रोल की खपत भी बढ़ गई है और अपेक्षित रिजल्ट नहीं मिल रहे हैं यानी कि मच्छर खत्म नहीं हो रहे हैं। विकल्प के तौर पर कहा गया था कि मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए एंटी लार्वा स्प्रे का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाए। उसके बाद खबर आई कि नगर निगम फिर से फॉगिंग कराएगा। उसने एक निजी कंपनी को मच्छर भगाने के लिए ट्रॉयल बेस पर तीन माह का टेंडर दिया। इस कंपनी ने तीन माह तक राजधानी में फॉगिंग की, कहां पर फॉगिंग हुई यह तो नहीं पता।
फॉगिंग की खबरों के बीच खबर पढऩे में आई कि राजधानी में पिछले तीन माह में फॉगिंग पर नगर निगम ने करीब 1.50 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। मच्छरों के प्रकोप से लोगों को बचाने के लिए इस तरह के विभिन्न उपाय किए जाते हैं, इसलिए राशि खर्चना कोई खबर नहीं है। इसमें खबर यह है कि डेढ़ करोड़ खर्च कर जिन मच्छरों को भगाया गया, उन्हीं के काटने से उन्हीं तीन माह में हर महीने करीबन 200 लोग डेंगू और मलेरिया से पीड़ित मिले। प्रशासन को चाहिए कि राजधानी की साफ-सफाई व्यवस्था ठीक करे। साथ ही मच्छरों को भगाने के लिए साइंटिफिक तरीकों पर फोकस करे ताकि लोगों को मच्छरजनित बीमारियों से बचाया जा सके।
अनुपम राजीव राजवैद्य

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