जगदलपुर- रेख चंद जैन कांकेर- शिशुपाल सोरी
गुंडरदेही- कुंवर निषाद बैकुंठपुर- अम्बिका सिंहदेव
सामरी- चिंतामणि महाराज भटगांव- पारस नाथ राजवाड़े
कुनकुरी – यूडी मिंज खल्लारी – द्वारिकाधीश यादव
महासमुंद – विनोद सेवनलाल चंद्राकर
कसडोल – शकुन्तला साहू नवागढ़ – गुरुदयाल बंजारे
मोहला मानपुर – इंदरशाह मंडावी क्षेत्रीय संतुलन की कोशिश, फिर भी दुर्ग भारी
संसदीय सचिव बनाकर मुख्यमंत्री ने युवाओं को मौका देने के साथ मंत्रिमंडल में आए क्षेत्रीय असंतुलन को साधने की कोशिश की है। 14 विधायकों वाले सरगुजा से तीन मंत्री हैं। यहां से चार विधायकों को संसदीय सचिव बनाया है। रायपुर संभाग की 20 में से 14 सीट कांग्रेस के पास है। केवल एक मंत्री हैं। अब पांच संसदीय सचिव बन गए। बस्तर की सभी 12 सीट कांग्रेस जीती। यहां से एक मंत्री और एक विधानसभा उपाध्यक्ष हैं। अब दो संसदीय सचिव बने हैं। बिलासपुर संभाग की 23 सीटों में से 12 पर कांग्रेस है। विधानसभा अध्यक्ष और दो मंत्री यहां से हैं। केवल एक संसदीय सचिव मिला है। वहीं 20 में से 17 सीट वाले दुर्ग में मुख्यमंत्री सहित 6 मंत्री हैं। अब तीन संसदीय सचिव भी बना दिए गए हैं।
यह पद संविधानिक नहीं राजनीतिक है। मुख्यत: मंत्रियों को उनके विभागीय कामकाज में मदद करते हैं। इनकी संविधानिक शपथ नहीं होती, इसलिए मंत्री की तरह सरकारी दस्तावेजों तक उनकी पहुंच नहीं होती। वे किसी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करते।
विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस संसदीय सचिव बनाने का विरोध करती रही है। इसे लेकर मोहम्मद अकबर अदालत तक गए थे। उनकी याचिका खारिज करते हुए न्यायालय ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति को वैध ठहराया था। यह जरूर कहा था, संसदीय सचिव पद जो कि मंत्री के समतुल्य है, उसे राज्यपाल ने शपथ नहीं दिलाई और न ही उनका निर्देशन है। इसलिए इन्हें मंत्रियों के कोई अधिकार प्राप्त नहीं हो सकते हैं।