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जिले में झोलाछाप डाक्टरों की संख्या काफी बढ़ गई है।हर गांव में यह डाक्टर अपनी छोटी-छोटी दुकान खोलकर बैठ गए हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्र के लोग आसानी से इनके चक्कर में फंस जाते हैं। इसका एक जीता – जागता उदाहरण देखने को मिल रहा है। मिली जानकारी के अनुसार जूटमिल चौकी क्षेत्र के ग्राम गढ़उमरिया निवासी कैलाश पोबिया पिता तसील पोबिया (40) विगत कई सालों से लैलूंगा के सिरपुर किराए के मकान में रहकर नहर के पुलिया का ठेकेदारी का काम करता था।नए ट्रैफिक नियम बनने के बाद सड़क दुर्घटनाओं में आई कमी, सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े
बीते अगस्त में अचानक उसके पैर के नसों में दर्द होने लगी। पहले हल्का दर्द था तो उसने ध्यान नहीं दिया। वही अगस्त के अंत में अचानक कैलाश को बहुत तेज दर्द होने लगा। इसके बाद उन्होंने आनन-फानन में लैलूंगा क्षेत्र के ग्राम मुड़ागांव में एक झोलाछाप क्लिीनक पहुंचा।इस दौरान वहां के झोलाछाप चिकित्सक ने जांच कर कैलाश को बताया कि उसे पथरी की शिकायत है। इस कारण उसके नशों में दर्द हो रहा है। जिसके बाद डाक्टर ने उसके कुल्हे में एक पथरी का इंजेक्शन लगाया और कुछ गोलियां भी दी। इजेक्शन के बाद दो-चार दिन दर्द कुछ कम हुआ, लेकिन अचानक उसका कुल्हा पकने लगा। इसके बाद परिजनों ने उसे उपचार के लिए रायगढ़ में एक प्रायवेट अस्पताल में ले गए, जहां डाक्टर द्वारा उसकी स्थिति को देखते हुए पहले घाव को साफ किया। इसके बाद उसे बड़े अस्पताल में जाने की सलाह दी।इस दिवाली सिद्धियोग में बना विशेष संयोग, बाजार से इस दिन खरीददारी कारना रहेगा सबसे शुभ
जिसके बाद परिजनों ने उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। इस दौरान उसका इंफेक्शन और तेजी से बढऩे लगा। इस दौरान उसके शरीर में इंफेक्शन इतना फैल गया कि दोनों पैर काला हो गया और किडनी और लीवर तक में घाव बनने लगा। इससे मरीज का बीपी भी डाउन गिरने लगा। ऐसे में उक्त अस्पताल के डाक्टरों ने उसकी स्थिति को देखते हुए उसे तत्काल रायपुर के लिए रेफर कर दिया।फॉर्म जमा करने आई लड़की को सरकारी अधिकारी ने बनाया गर्लफ्रेंड फिर एक महीने तक किया…
मेकाहारा में भी नहीं मिला पर्याप्त उपचारइस संबंध में परिजनों ने बताया कि जब कैलाश को रायपुर के मेकाहारा अस्पताल ले जाया गया तो वहां एक दिन भर्ती होने के बाद वहां के डाक्टरों ने कहा कि अब इनकी स्थिति ज्यादा खराब हो गई है। इस कारण इन्हें घर ले जाओ और इनकी सेवा करो। जिस पर परिजनों ने उसे आक्सीजन के सहारे घर लेकर आ रहे थे। इस दौरान कैलाश को लेकर जब आधे रास्ते में पहुंचे तो अचानक इसका बीपी लेबल में आने लगा। जिसके बाद उसका आक्सीजन पाइप निकल गया, लेकिन घर में एक दिन स्वस्थ रहने के बाद फिर उसकी तबीयत बिगडऩे लगी और अब वह पैर पक जाने के कारण पैर को हिलाने-डूलाने मे भी असमर्थ हो गया।
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शहर के एक निजी अस्पताल में है भर्तीपरिजनों ने बताया कि रायपुर से डाक्टरों के जवाब देने के बाद उनके मन यह हो गया था कि अब इसको बचाना मुश्किल है, लेकिन अंतिम प्रयास के लिए परिजनों ने कैलाश को रायगढ़ के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां डाक्टरों ने करीब 20 दिन तक आईसीयू में रखने के बाद देखा कि उसकी स्थिति में काफी सुधार हो रहा है। हालांकि अब मरीज को वार्ड में शिफ्ट किया गया है, लेकिन इस दौरान उसके दोनों पैर में मांस गलने के कारण काला पड़ गया है। वहीं लीवर और किडनी में भी इसका असर होने से पूरी तरह से स्वस्थ होने में समय लग सकता है।
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क्या कहते हैं परिजनजब कैलाश के परिजनों से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि मुरागांव के ही एक झोला छाप डाक्टर ने नस में दर्द होने के बाद पत्थरी का इंजेक्शन लगाया गया। जिसके बाद इसकी स्थिति गंभीर हुई है। हलांकि अब उपचार के बाद उसके स्थिति में काफी सुधार हुई है। अगर समय रहते यहां नहीं पहुंचते तो कुछ भी हो सकता था।
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मैं बीएमओ को बोलकर जांच कराता हूं। शिकायात सही पाए जाने पर उक्त डाक्टर पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। क्योंकि इस तरह से कोई भी लोगों के जान से खिलावाड़ नहीं कर सकता।डा. एसएन केशरी, सीएचएमओ