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पुलिस अधिकारियों की माने तो शराब पीकर या नशे की हालत में वाहन चलाने से अधिकांश दुर्घटनाएं होती है। ऐसे में जब यातायात पुलिस शराबी चालकों को पकड़ती है तो उन पर चालानी कार्रवाई करके उन्हें नहीं छोड़ती। बल्कि उन्हें कोर्ट में पेश करती है। जहां से वे अर्थदण्ड पटाकर अपना वाहन छुड़ाते हैं। पहले कोर्ट में शराबी चालकों को दो हजार रुपए अर्थदण्ड चुकाना पड़ता था, अब नए नियम के हिसाब से उससे चार गुना 10 हजार रुपए अर्थदण्ड चुकाना पड़ रहा है। जिससे शराबी चालकों में हडक़ंप मचा हुआ है। वहीं लोग शराब पीकर वाहन चलाने से कतरा रहे हैं। हाल ही में जिला न्यायालय ने एक शराबी चालक पर 10 हजार रुपए का अर्थदण्ड लगाया है।रेलवे कर रहा कंफर्म टिकट का दावा, रोज स्टेशन पहुंच रहे 70 हजार यात्री, लेकिन समस्या जस के तस …
इसके अलावा सितंबर माह में छाल पुलिस ने भी एक शराबी चालक को पकड़ कर धरमजयगढ़ न्यायालय में पेश किया था। जिसे कोर्ट ने 15 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया था। यातायात पुलिस की मानें तो वह कोर्ट के ऊपर निर्भर करता है कि किस मामले में कितना अर्थदण्ड लगाया जाए। शराबी चालकों के अलावा ओवरलोड वाहन चालकों को भी कोर्ट में पेश किया जाता है।फॉर्म जमा करने आई लड़की को सरकारी अधिकारी ने बनाया गर्लफ्रेंड फिर एक महीने तक किया…
रफ्तार पर नियंत्रण और नशे की जांच भी जरूरीजिले में सडक़ दुर्घटनाओं में अधिकांश मौत भारी वाहनों के चपेट में आने से होती है। साल 2018 की बात करें तो भारी वाहन से 183 दुर्घटनाएं हुई हैं। जिनमें 92 लोगों की मौत और 140 लोग घायल हुए हैं। वहीं इसी साल के जनवरी से सितंबर माह तक की बात करें तो भारी वाहन से 143 दुर्घटनाएं हुई हैं। जिसमें 55 लोगों की मौत और 111 लोग घायल हुए हैं। भारी वाहनों से दुर्घटनाओं के आंकड़े पुलिस अधिकारियों के पास भी है, लेकिन इस ओर कार्रवाई करने में पुलिस कोई रूचि नहीं दिखा रही है। ज्ञात हो कि अधिकांश भारी वाहन के चालक नशे की हालत में वाहन चलाते हैं और उनकी रफ्तार भी अधिक होती है। ऐसे में यातायात विभाग को ऐसे चालकों पर कार्रवाई करने की जरूरत है।ताकि दुर्घटनाओं में कुछ कमी आ सके।
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नए कानून के पहले ज्यादा थे सडक़ हादसेइस साल सडक़ दुर्घटनाओं के आंकड़ों में कमी आई है, लेकिन सितंबर के पहले आठ माह की बात करें तो सडक़ दुर्घटनाओं का ग्राफ काफी बढ़ा है। अभी साल पूरा होने में दो माह बाकी हैं तब भी हादसों में मरने वालों की संख्या 214 पहुंच गई है। जबकि 2018 में मृतकों की संख्या 258 थी। अब इस साल के बचे दो माह में सडक़ दुर्घटना में मौत की संख्या पिछले साल की तुलना में बढ़ती या घटती है यह पुलिस की कार्रवाई पर निर्भर करता है। हालांकि पुलिस दुर्घटना को रोक नहीं सकती, लेकिन कार्रवाई व लोगों को जागरुक कर कुछ हद तक दुर्घटना के ग्राफ को कम कर सकती है।
माह | दुर्घटना | मृतक | घायल |
जनवरी | 49 | 22 | 41 |
फरवरी | 54 | 26 | 44 |
मार्च | 61 | 26 | 67 |
अप्रैल | 55 | 19 | 55 |
मई | 48 | 23 | 35 |
जून | 65 | 27 | 73 |
जुलाई | 67 | 29 | 60 |
अगस्त | 58 | 26 | 52 |
सितंबर | 37 | 16 | 30 |
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