scriptInternational Women’s Day: हौसले की मिसाल हैं अनिता पटेल, मुश्किलों से लड़कर बनाई खुद की पहचान, राष्ट्रपति के हाथो भी मिला पुरस्कार | Know story of Anita Patel of Auraanara Panchayat on Women's Day 2024 | Patrika News
रायगढ़

International Women’s Day: हौसले की मिसाल हैं अनिता पटेल, मुश्किलों से लड़कर बनाई खुद की पहचान, राष्ट्रपति के हाथो भी मिला पुरस्कार

International Women’s Day: गंगोत्री से गंगा की पतली धार निकली है, लेकिन यह जैसे ही आगे बढ़ती है इसका दायरा बढ़ता जाता है और यह गंगा पूज्नीय होकर लाखों लोगों की प्यास बुझाती है। कुछ इसी तरह तारापुर के छोटे से गांव औरानारा की रहने वाली अनिता पटेल के कार्य हैं।

रायगढ़Mar 08, 2024 / 05:03 pm

Khyati Parihar

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International Women’s Day: गंगोत्री से गंगा की पतली धार निकली है, लेकिन यह जैसे ही आगे बढ़ती है इसका दायरा बढ़ता जाता है और यह गंगा पूज्नीय होकर लाखों लोगों की प्यास बुझाती है। कुछ इसी तरह तारापुर के छोटे से गांव औरानारा की रहने वाली अनिता पटेल के कार्य हैं। उसने 14 साल पहले माह के पांच हजार रुपए से काम शुरू की थी। अब वह सालाना तीन लाख रुपए से अधिक की आय अर्जित कर रही है। इसके अलावा समूह के जोड़ कर अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने में सहायक साबित हो रही है।
औरानारा की आरती पटेल सामान्य गृहणी थी, लेकिन उन्हें कुछ अलग कर गुजरने की इच्छा थी। इसका अवसर तलाशते हुए वे वर्ष 2008 में गांव के ही महिला स्व सहायता समूह से जुड़ी थी। इस समूह के माध्यम से उसे माह में पांच हजार रुपए का आय होता था। समूह में रहते हुए उन्हें बिहान समूह के माध्यम से बीसी सखी में जुड़ने का अवसर मिला। इसके जुड़ने के बाद वे अपने काम को लगन के साथ करती गई।
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इससे उन्हें सफलता भी मिलती गई। अब यह स्थिति यह है कि हर माह 25 हजार से अधिक रुपए आय अर्जित कर रही है। बीसी सखी में जितना ज्यादा ट्रांजेक्शन होगा उतना ही कमिशन बीसी सखी को मिलता है। इससे सालाना उन्हें तीन लाख से अधिक का आय होता है। इसमें वे आयुष्मान कार्ड सहित विश्वकर्मा योजना सहित अन्य कार्यों को भी करती है। इससे उन्हें अतिरिक्त आय होता है। अनिता कहती हैं कि इस कार्य में उनके परिवार का भी भरपूर सहयोग मिला।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास

वर्ष 2008 में जब वे महिला स्व सहायता समूह से जुड़ी थी, तब गांव में चार स्व सहायता समूह हुआ करता था, लेकिन यह स्व सहायता समूह के सदस्य बचत के अलावा अन्य कार्य नहीं करते थे। अनिता पटेल के समूह से जुड़ने के बाद अन्य समूहों को भी विभिन्न कार्यों के लिए प्रेरित किया। आज औरानारा गांव में ही 11 महिला स्व सहायता समूह हैं, जिनकी महिलाएं कृषि सखी, पशु सखी व मछली पालन तक का कार्य करते हुए आत्म निर्भर बन रही हैं।
कठिन दौर में और बढ़ा हौसला

कोरोना का समय सबके लिए कठिन दौर था। इस समय सभी अपने-अपने घरों में कैद हो गए थे। इस समय भी अनिता बीसी सखी थी। यह लोगों के घर – घर जाकर रुपए का लेनदेन करती थी। इसका ट्रांजेक्शन सबसे ज्यादा हुआ। ऐसे में इन्हें दिल्ली में राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार मिला। वहीं रायगढ़ जिले में गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस पर भी पुरस्कृत किया गया।

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