कांग्रेस भी कई गुटों में बंटा हुआ है। बड़े नेताओं के अलग-अलग गुट हैं। सभी गुटों में इसका विरोध है, लेकिन इस बात को कोई खुल कर बोलने के लिए तैयार नहीं है। इसकेपीछे कारण यह बताया जा रहा है कि पहले जिन जोगी कांग्रेस के पदाधिकारी व कार्यकर्ता का कांग्रेस प्रवेश हुआ था। उसमें प्रदेश स्तर के नेताओं ने स्थानीय पदाधिकारियों की राय ली थी, लेकिन इस बार अब तक ऐसा भी मामला नहीं आया है।
विधानसभा चुनाव तक जोगी कांग्रेस के साथ कार्यकर्ता जुड़े रहे, लेकिन जैसे ही विधानसभा का रिजल्ट आया और जोगी कांग्रेस को पूरे प्रदेश में करारी हार मिली इसके बाद से पार्टी के कार्यकर्ताओं का जोगी कांग्रेस से मोह भंग होना शुरू हो गया। विधानसभा चुनाव के बाद जब लोक सभा चुनाव शुरू हुआ उस समय रायगढ़ जिले के जोगी कांग्रेस जिलाध्यक्ष दयाराम धुर्वे व अन्य सदस्यों ने कांग्रेस की सदस्यता ली थी। इस समय इतना बवाल नहीं हुआ था।
नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। कांग्रेस और भाजपा अपनी-अपनी रणनीति तैयार कर रही है। प्रदेश में सत्ता होने पर कांग्रेस इस बार शहर की सत्ता पर काबिज होने के लिए जोर अजमाइश के लिए गुंताडा लगा रही है। इस बीच उनके समक्ष यह नई समस्या आ रही है। माना यह जा रहा है कि यदि पार्टी अभी जोगी कांग्रेस के सदस्यों को कांग्रेस में लेती है तो इससे पार्टी को नुकसान हो सकता है।
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