जब मुनव्वर से पूछा गया की ये पासमांदा क्या है? इस पर जवाब देते हुए मुनव्वर ने कहा की “ पासमांदा शब्द का मतलब होता है पिछड़े हुए लोग। समाज में जो लोग पिछड़ जाते हैं उन्हें पासमांदा कहते हैं। इस्लाम में पासमांदा का कोई जिक्र नहीं था और ना ही जात-पात का कोई जिक्र था। अरब में इसे कोई नहीं जानता है कि कौन किस जाति का है. केवल लोग ये जानते थे कि ये अरबी हैं। इसी के आधार पर शादी होती है। हिंदुस्तान में आकर हमलोग इस रंग में रंग गए हैं।”
राणा ने आगे कहा “ मैं बहुत इमानदारी से एक बात कहता हूं कि मेरा बाप मुसलमान था, इसकी मैं गारंटी लेता हूं, लेकिन मेरी मां भी मुस्लिम थी, इसकी गारंटी मैं नहीं ले सकता। इसलिए कि मेरे पिता पहले भारत आए थे. वो चाहे ईसा पूर्व से आया हो, समरकंद से आया हो, मुखारद से आया हो, अफ्रीका आया हो या अरब से आया हो। वो फौज के साथ आया था और फौज बगल में बीवी लेकर नहीं चलते हैं. इसलिए मेरा बाप जो था वो मुसलमान था लेकिन मेरी मां भी मुसलमान थी इसकी मैं गारंटी नहीं ले सकता हूं.”