– मुकेश भटनागर, भिलाई, छत्तीसगढ़
राजनीति में दोहरे चरित्र के चलते ऐसा हो रहा
कुछ राजनीतिक दलों, नेताओं और कथित लोकतंत्र हितैषियों की ओर से अपनी हार का ठीकरा फोड़ने का सिलसिला ईवीएम पर जारी है। ये सभी मशीनों की विश्वसनीयता जीत के समय सही मानते हैं, लेकिन हारने पर उस पर सवाल उठाने लगते हैं। राजनीति में यह दोहरे चरित्र की वजह से बार-बार ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए जाते हैं।-नरेश कानूनगो, देवास, म. प्र.
आपत्तियों का जल्द निराकरण भी होना चाहिए
चुनाव चाहे किसी भी प्रकार का हो, उसे सदैव कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में करवाया जाना चाहिए, ताकि किसी को आरोप-प्रत्यारोप और आपत्ति लगाने का मौका ही न मिले। यदि चुनाव के दौरान कोई आपत्ति उठाई जाती है, तो उसका निराकरण शीघ्रता से किया जाना चाहिए।-डॉ. मदनलाल गांगले, रतलाम (मध्य प्रदेश)
विपक्षी पार्टियां बनाती हैं मुद्दा, अपनी हार का ठीकरा मशीन पर
अक्सर देखा जाता है कि चुनाव के नतीजे आने पर हारने वाली पार्टी ईवीएम पर सवाल खड़े करती है, ताकि वे जनता का ध्यान अपनी हार से हटा सकें। कई देशों में अभी भी बैलेट पेपर से चुनाव होते हैं, जिससे पार्टियां इसे एक विकल्प के रूप में पेश करती रहती हैं और ईवीएम पर सवाल उठाती हैं। हारी हुईं पार्टियां दावा करती हैं कि सत्ता पार्टी ईवीएम को हैक करके परिणाम अपने पक्ष में लाती है, जिससे ईवीएम की विश्वसनीयता को मुद्दा बनाया जाता है।
-सुनीता प्रजापत, हनुमानगढ़
ईवीएम पर सवाल उठना, मतदाता पर भी असर
ईवीएम पर बार-बार प्रश्न उठाना लोकतंत्र के हित में नहीं है। इससे मतदाता के दिमाग में भी सवाल उठते हैं। ईवीएम को लेकर इस तरह की बातें नहीं होनी चाहिए।
-साजिद अली, इंदौर
हार का ठीकरा फोड़ने का बहाना है
कई विशेषज्ञ कह चुके हैं कि ईवीएम से कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है, लेकिन चुनाव हारने वाली विपक्षी पार्टियां जब मीडिया के सवालों का सामना करती हैं, तो सारा दोष ईवीएम पर डाल देती हैं। अगर चुनाव जीत जाती हैं, तो ईवीएम पर कोई सवाल नहीं उठता है। यह हार का ठीकरा फोड़ने का एक बहाना बन चुका है।