scriptसेमरिया नाले पर पुल नहीं, बच्चे स्कूल जाने उठाते हैं जोखिम, बाढ़ में बह न जाएं इसलिए आधी छुट्टी लेकर आ जाते हैं घर | तीन साल पहले तत्कालीन सीएम भूपेश ने दी थी स्वीकृति पर आज तक नहीं बना पुल | Patrika News
बालोद

सेमरिया नाले पर पुल नहीं, बच्चे स्कूल जाने उठाते हैं जोखिम, बाढ़ में बह न जाएं इसलिए आधी छुट्टी लेकर आ जाते हैं घर

यह तस्वीर है जिले के ग्राम बोरी सेमरिया नाला की। पढ़ाई करने के लिए स्कूली बच्चों को पहले जर्जर व खतरनाक पुलिया से होकर नाले को पार करने की परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है। एक तरफ सरकार हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार की बात कहते फिर रही है। वहीं यहां स्वीकृति के बाद भी नाले में पुल नहीं बनने से विद्यार्थियों को नाला व जर्जर पुलिया शिक्षा से वंचित कर रही है।

बालोदJul 28, 2024 / 12:01 am

Chandra Kishor Deshmukh

यह तस्वीर है जिले के ग्राम बोरी सेमरिया नाला की। पढ़ाई करने के लिए स्कूली बच्चों को पहले जर्जर व खतरनाक पुलिया से होकर नाले को पार करने की परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है। एक तरफ सरकार हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार की बात कहते फिर रही है। वहीं यहां स्वीकृति के बाद भी नाले में पुल नहीं बनने से विद्यार्थियों को नाला व जर्जर पुलिया शिक्षा से वंचित कर रही है।
Dangerous Culvert यह तस्वीर है जिले के ग्राम बोरी सेमरिया नाला की। पढ़ाई करने के लिए स्कूली बच्चों को पहले जर्जर व खतरनाक पुलिया से होकर नाले को पार करने की परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है। एक तरफ सरकार हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार की बात कहते फिर रही है। वहीं यहां स्वीकृति के बाद भी नाले में पुल नहीं बनने से विद्यार्थियों को नाला व जर्जर पुलिया शिक्षा से वंचित कर रही है। इस नाले में पुल बनाने में सरकार आज तक सफल नहीं हुई। इस पुलिया की स्थिति से तो कलेक्टर, शिक्षा विभाग, विधायक सहित सभीे आला अधिकारी व जनप्रतिनिधि सभी अवगत हैं।

तीन साल पहले मिली थी पुल निर्माण की स्वीकृति

इस नाले में 3 करोड़ 10 लाख रुपए की लागत से पुल का निर्माण होना है। 11 माह पहले ही यहां पुल निर्माण के लिए भूमिपूजन भी कर लिया गया लेकिन 11 माह बाद भी पुल निर्माण के लिए एजेंसी तय नहीं की जा सकी। शासन के काम में इतनी ढिलाई से ऐसा लग रहा है कि सरकार को इस नाले में किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार है। दुर्घटना के बाद ही निर्माण शुरू कराया जाएगा। दरअसल इस नाले में पुल का निर्माण अब तक शुरू हो जाना था क्योंकि लगभग तीन साल पहले पुल निर्माण की स्वीकृति दी गई थी।
यह भी पढ़ें

करगिल में जवानों की शहादत को याद कर आंखें हो जाती हैं नम

नाले का जल स्तर कम हुआ तो गए थे स्कूल, तेज बारिश से जल स्तर बढ़ा तो वापस आ गए

शनिवार को जिले में सुबह से कभी तेज तो कभी रिमझिम बारिश हुई। शाम 6 बजे तक बारिश जारी रही। दरअसल नाला पार कर ग्राम पसौद सहित आसपास गांव के बच्चे स्कूल आना-जाना करते हैं। सुबह तो स्कूल चले गए लेकिन जब तेज बारिश शुरु हुई तो नाले में कहीं जलस्तर न बढ़ जाए, यह सोचकर स्कूल से छुट्टी मांगकर घर आ गए। जब तक नाले का जल स्तर बढऩे लगा था।
यह देखे :

जवानों की शहादत को याद कर आंखें हो जाती हैं नम

नाले में पानी अधिक होने से एक सप्ताह से घर पर हैं कई विद्यार्थी

दरअसल जिले में बीते एक सप्ताह से लगातार बारिश जारी है। बीते दिनों तो बहुत तेज बारिश हुई, जिससे जिले के सेमरिया बोरी नाला सहित कई नदी नाले उफान पर थे। नाले में जलभराव अधिक होने के कारण ग्राम पसौद के कई स्कूली बच्चे, जो खपरी व लाटाबोड़ स्कूल आते हैं, वह नहीं आ पाए। एक सप्ताह तक नाला उफान पर था। वहीं शुक्रवार की शाम तक जब नाले का जलस्तर कम हुआ तो शनिवार को स्कूल गए लेकिन बारिश से फिर जलस्तर बढऩे लगा तो स्कूल से वापस आ गए।
यह देखे :

पटरी पर गिरा बरगद का बड़ा पेड़, राजहरा-अंतागढ़ ट्रेन टकरा कर हो गई डिरेल, चालक को आई चोट

3 करोड़ 10 लाख की लगात से बनना है 75 मीटर लंबा पुल

पुलिया व नाले में कभी भी अनहोनी हो सकती है पर सब जानकर भी सरकार व जिला प्रशासन ने आखें मूंद ली है। तभी तो आज तक इस पर कुछ नहीं हो पाया। दरअसल इस नाले पर 3 करोड़ 10 लाख 86 हजार रुपए की लगात से 75 मीटर लंबा व 8.40 मीटर चौड़ा पुल बनाना है।
यह भी पढ़ें

भाजपा नेता के फार्म हाउस में चौकीदार ने एक व्यक्ति की टंगिया मारकर की हत्या

मांग करते-करते थक गए ग्रामीण

यहां पुल निर्माण की लड़ाई ग्राम बोरी के ग्रामीणों ने खूब लड़ी। सैकड़ों आवेदन मुख्यमंत्री, कलेक्टर व विधायक को दे चुके हैं। विधायक संगीता सिन्हा ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास मांग की तो पूर्व मुख्यमंत्री ने स्वीकृति दी। लेकिन बीते दो साल से टेंडर के फेरे में शासन के पास यह मामला लटक गया है। अब ग्रामीण शासन प्रशासन से मिले आश्वासन से थक चुके हैं।

Hindi News / Balod / सेमरिया नाले पर पुल नहीं, बच्चे स्कूल जाने उठाते हैं जोखिम, बाढ़ में बह न जाएं इसलिए आधी छुट्टी लेकर आ जाते हैं घर

ट्रेंडिंग वीडियो