मंगलवार को भी रोके गए वाहन
राजहरा परिवहन संघ 20 नवंबर से बीएसपी के माइंस कार्यालय के पास आंदोलन कर रहा है। 24 नवंबर तक किसी प्रकार की सहमति नहीं बनते देख संघ ने 25 नवंबर से माइंस के वाहनों को अनिश्चितकालीन चक्काजाम करने का निर्णय लेते हुए सोमवार को वाहनों को रोका गया। मंगलवार को भी माइंस की वाहनों को रोक कर आंदोलन किया गया, जिससे प्रबंधन को करोड़ों की क्षति पहुंची। मांगों को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाने की बात कही
कलेक्टर ने परिवहन संघ के प्रतिनिधिमंडल को चर्चा के लिए मंगलवार की शाम 4 बजे कलेक्टर कार्यालय बुलाया गया। पदाधिकारियों ने अपनी मांगों के संदर्भ में बात रखी। बीएसपी के मुख्य महाप्रबंधक ने मांगों को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाने की बात कही।
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बैठक में चक्काजाम समाप्त करने पर बनी सहमति
बीएसपी के ईडी माइंस से टेलीफोन पर बात की गई, जिस पर 9 दिसंबर को ईडी माइंस के साथ बैठक करने की बात कही गई। कलेक्टर ने परिवहन संघ को चक्काजाम समाप्त करने की बात कही गई। संघ ने कलेक्टर की बातों का सम्मान करते हुए 9 दिसंबर तक अनिश्चितकालीन चक्काजाम समाप्त करने की बात कही, तब तक माइंस कार्यालय के समक्ष आंदोलन जारी रहने की बात कही।
राजहरा परिवहन संघ की प्रमुख मांगें
रेलमार्ग से 100 प्रतिशत परिवहन कार्य का 40 प्रतिशत परिवहन कार्य दल्ली से भिलाई तक हमारी संस्था के मालवाहक वाहनों को दिया जाए। हितकसा में निर्माणाधीन पैलेट प्लांट से निर्मित होने वाले पैलेट का परिवहन कार्य दिया जाए। बीएसपी प्रबंधन के निजी क्षेत्रों को बेचे जाने वाली अनुपयोगी लौह अयस्क का परिवहन कार्य दिया जाए। क्षेत्र की जनता के लिए समुचित रोजगार मुहैया कर पलायन रोका जाए। जिला खनिज न्यास निधि से मिलने वाली राशि का अधिकतम उपयोग शहर के विकास में किया जाए शामिल है।
कलेक्टर के साथ बैठक में ये रहे मौजूद
बैठक में कलेक्टर इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल, अपर कलेक्टर चंद्रकांत कौशिक, आरके सोनकर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) डौंडी, डॉ चित्रा वर्मा नगर पुलिस अधीक्षक दल्लीराजहरा, बीएसपी के सीजीएम आरबी गहरवार, डॉ जेएस बघेल, राजहरा परिवहन संघ के इंद्रजीत सिंह तुली, परविंदर सिंह छतवाल, अतिंदर सिंह संधू, नरेंद्र सिंह तुली, जगजीत सिंह मरवाहा, अनिल सुथार उपस्थित थे।
14 हजार टन का नुकसान
राजहरा परिवहन संघ के आंदोलन में 25 व 26 नवंबर को दो दिन दल्ली, राजहरा व महामाया माइंस के वाहनों को रोका गया। जिससे बीएसपी प्रबंधन को लगभग 14 हजार टन लौह अयस्क की आपूर्ति नहीं हो पाई। जिससे प्रबंधन को करोड़ों की क्षति पहुंची।