खनिज प्रभावित क्षेत्र में सुविधाएं करानी है उपलब्ध
केंद्र सरकार ने 2015 में खनिज प्रभावित क्षेत्रों में निवासरत वहां के लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा, शुद्ध पेयजल, बच्चों के खेलकूद, सड़क सहित अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने खनिज न्यायस निधि (डीएमएफ ) का गठन किया गया।
सरकार के नियमों की उड़ाई धज्जियां
केंद्र सरकार ने खनिज न्यायस निधि का 60 प्रतिशत की राशि खनन क्षेत्र और शेष 40 प्रतिशत की राशि को खनन क्षेत्र के आसपास खर्च करने की बात कही है। 60 प्रतिशत तो बहुत दूर 0.00001 प्रतिशत की राशि भी सीधे प्रभावित क्षेत्र में खर्च नहीं की गई है।
डीएमएफ की राशि अन्य जिलों में की गई खर्च
वर्ष 2015 में डीएमएफ के गठन के बाद संयंत्र प्रबंधन खनिज की रायल्टी का कुछ प्रतिशत की राशि प्रतिमाह जिला खनिज शाखा कार्यालय में जमा करवाता है। सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णा सिंह के अनुसार छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद व विधायक के दबाव में जिले के आला अधिकारी राशि को बालोद जिले के अलावा राजनांदगांव, दुर्ग, कांकेर, धमतरी जिले में खर्च की। अरबों की राशि का सिर्फ दुरुपयोग हुआ।
65 वर्षों से ठगा महसूस कर रही जनता
दल्लीराजहरा माइंस का खनन कार्य लगभग 65 वर्ष पूर्व 1958 में प्रारंभ हुआ। माइंसों में लोगों को नौकरियां मिली, लेकिन रायल्टी से यहां होने वाले विकास पर ध्यान नहीं दिया गया। रोजगार व सुविधाओं के अभाव में हो रहा पलायन
बीएसपी प्रबंधन और न ही शासन – प्रशासन ने राजहरा के विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया। रोजगार, बेहतर शिक्षा व स्वास्थ्य की सुविधा नहीं मिलने से लोग पलायन करने लगे और सवा लाख की आबादी वाले शहर में अब 45 हजार लोग रह गए हैं।
बीएसपी ने बंद कर दी बुनियादी सुविधाएं
भिलाई इस्पात संयंत्र ने प्रारंभिक दौर में राजहरा मे अपने कर्मचारियों व उनके परिवार के लिए अस्पताल और स्कूलों का निर्माण करवाया। कुछ वर्षों बाद प्रबंधन दोनों सुविधाओं को समेटने लगा। 20 वर्षों में अस्पताल रेफर सेंटर बन गए। 100 बिस्तर अस्पताल में पहले जगह नहीं मिलती थी, अब दो-चार मरीज भर्ती रहते हैं। चिकित्सकों, मशीनों, दवाइयों और विशेषज्ञ चिकित्सक की कमी है। संयंत्र के कर्मचारी भिलाई के सेक्टर-9 अस्पताल पर निर्भर हैं।
बीएसपी का एक स्कूल भी संचालित नहीं
बीएसपी ने अस्पताल की तरह शिक्षा का हाल भी ऐसा ही कर दिया। संयंत्र प्रबंधन ने धीरे-धीरे एक – एक कर यहां संचालित सभी स्कूलों को बंद कर दिया। अब एक भी स्कूल संचालित नहीं है। रेलवे में टिकट कलेक्टर की नौकरी लगवाने के नाम पर 43 लाख 55 हजार ठगे, मुख्य आरोपी गोंदिया से गिरफ्तार
यूनियन के जनप्रतिनिधि सिर्फ ज्ञापन सौंपते रहे
शिक्षा व स्वास्थ्य की निरंतर हो रही बदहाली को लेकर 20 वर्षों से नगर की विभिन्न यूनियनों के श्रमिक नेता भिलाई इस्पात संयंत्र के एमडी, सीईओ व ईडी के आगमन पर उन्हें ज्ञापन सौंपकर दोनों व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग करते रहे। अधिकारी भी जल्द उनकी इन समस्याओं के निराकरण के लिए आश्वस्त करते रहे।
अधिकार के लिए जनता को लडऩा होगा
नेताओं व अधिकारियों ने अरबों की राशि जिसे राजहरा के विकास पर खर्च किया जाना था, उसे अन्य जिलों के विकास पर खर्च किया है। अब भी राजहरा के जनप्रतिनिधि व जनता एक होकर अपने अधिकार व हक के लिए आगे नहीं आएंगे तो नेताओं व अधिकारी डीएमएफ की राशि का बंदरबांट करने में पीछे नहीं हटेंगे।
हाईकोर्ट में याचिका दायर
बीएसपी की माइनिंग से प्रभावित इलाके में विकास कार्य की राशि नहीं देने पर हाईकोर्ट ने शासन और भिलाई इस्पात संयंत्र से जवाब मांगा ता। प्रबंधन और शासन ने जवाब प्रस्तुत कर दिया है। अब एक सप्ताह बाद अगली सुनवाई होगी। मामले में सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णा सिंह ने जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने बताया कि दल्लीराजहरा में माइनिंग से पर्यावरण, गांव की कृषि भूमि और जनजीवन प्रभावित होता है। क्षेत्र के विकास में राशि खर्च नहीं की जा रही है।