भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में महिलाओं ने किया दृढ़ता से नेतृत्व- राज्यपाल
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि त्रिवेणी की पावन धरा पर स्थित प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) विश्वविद्यालय, प्रयागराज के चतुर्थ दीक्षान्त समारोह में आप सभी के बीच उपस्थित होकर अत्यन्त गर्व का अनुभव कर रही हूँ। सभी नूतन वर्ष 2022 की हार्दिक शुभकामनाएं दी। कहा कि दीक्षान्त समारोह विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण अवसर होते हैं, क्योंकि यह उनके वर्तमान कार्यों को समाप्ति और अपने सपनों को आकार देने के लिए एक नये अध्याय की शुरूआत का अवसर होता है।प्रयागराज में फ्लैट लेना हुआ आसान, जानिए पीडीए की तीन योजनाएं, जल्दी बुक करें सपनों का घर
दीक्षान्त समारोह में कुल एक लाख बत्तीस हजार तीन सौ इक्हत्तर (1,32,371) विद्यार्थियों को उपाधियां वितरित की गयी हैं। दीक्षांत समारोह में छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक, रजत पदक एवं कांस्य पदकों का वितरण किया गया। पदकों की सूची में बेटियों की संख्या बेटों से ज्यादा है। यह एक सुखद स्थिति है, जो यह दर्शाता है कि हमारे समाज में बेटियां किस प्रकार आगे बढ़ रही हैं। हमारी बेटियों द्वारा प्रदर्शित यह उत्कृष्टता एक विकसित राष्ट्र के रूप में भारत के भविष्य का प्रतिबिंब हैं।समान अवसर मिलने पर प्रायः हमारी बेटियां हमारे बेटों से भी आगे निकल जाती हैं। मैं इन सभी बेटियों को इस उपलब्धि के लिए विशेष रूप से बधाई देती हूँ। उन्होंने सावित्री बाई फूले को याद करते हुए कहा कि वे भारत की पहली महिला शिक्षक थी जबकि उस समय कोई सुविधा उनके पास उपलब्ध नहीं थी और न ही बेटियों की शिक्षा के लिए सामाजिक माहौल ही थी, इस कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने यह मुकाम हासिल किया, यह आज की महिलाओं और बेटियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। आज जिस साहस से महिलायें आगे बढ़ते हुए हर क्षेत्र में अपना मुकाम हासिल कर रही है, उससे लगता है कि आने वाले समय में हर क्षेत्र में महिलाओं की अग्रणी भूमिका होगी।
उन्होंने कहा कि प्रो. राजेन्द्र सिंह का प्रयागराज की धरती से बहुत लगाव था। वेे यहां के इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 1939 से 1943 तक विद्यार्थी रहे, जो बाद में यहां के प्रवक्ता, प्राध्यापक और अंत में विभागाध्यक्ष रहे। आज के अवसर पर मैं उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ।
उच्चतर शिक्षा की राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका है। इसका वास्तविक उद्देश्य हमारे युवाओं का चहुंमुखी विकास करना है, जो हमारे विविधताओं से भरे महान राष्ट्र की समृद्धि के लिये आवश्यक है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भी उल्लेख करते हुए कहा कि इसका दर्शन भारतीय लोकाचार में निहित है, जो भारत को बदलने में सीधे योगदान देती है। नई शिक्षा नीति भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित होगी, इससे विद्यार्थी जाॅब मांगने के बजाय लोगो को स्वयं जाॅब उपलब्ध कराने वालो की श्रेणी में शामिल होेंगे। सभी को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करके भारत को एक वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति बनाने में नई शिक्षा नीति का दर्शन निहित है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा जिन छः गांवों को गोद लिया गया है, यह प्रण करें कि उन गांवों में कोई भी बच्चा टीबी, कुपोषण का शिकार न हो, उन गांवों में सभी पात्रों को सरकार द्वारा चलायी जा रही सभी योजनाओं का लाभ मिले, यह सुनिश्चित करें। इसके साथ ही साथ यह भी सुनिश्चित किया जाये कि इन गांवों का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।