कहा जाता है कि आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है। कोरोना वायरस महामारी आने के बाद दुनिया भर में उथल-पुथल मच गयी है। दुनिया भर में हजारों कोरोना योद्घा और डाॅक्टर मरीजों का इलाज करते-करते खुद संक्रमित होकर दुनिया से चले गए। कोरोना योद्घाओं की सुरक्षा के बारे में सोचते-सोचते लखनऊ के बाबा भीमराव अंबेडकर केन्द्रीय युनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने वाले प्रयागराज के शिवकुटी मुहल्ला निवासी नमित द्विवेदी और अभिषेक तिवारी ने कुछ ऐसा नया प्रयोग करने का सोचा जिससे कोरोना योद्घाओं के खतरे को कम किया जा सके। उनकी इस सोच ने मोबाइल ब्लूटूथ तकनीक से चलने वाली डिलीवरी कार के रूप में मूर्तरूप लिया।
इस डिलिवरी कार की खासियत है कि इसे ब्लूटूथ के जरिये कंट्रोल कर अस्पताल के कोरोना वार्ड में मरीजों तक दवाई, खाने-पीने का जरूरी सामान, सेनेटाइजर समेत जरूरत की चीजें आसानी से पहुंचाई जा सकती हैं। इस काम के लिये डॅक्टर, नर्साें और वार्ड ब्वाय के लिये कोरोना वार्ड में लगातार संक्रमण का खतरा बना रहता है। इससे बचने के लिये उन्हें भारी-भरकम पीपीई सूट पहनना पड़ता है। दोनों इंजीनियरों का कहना है कि अगर इस कार का इस्तेमाल किया जाय तो कोरोना योद्घाओं को संक्रमण से बचने में मदद मिलेगी।
यह डिलिवरी कार दो किलो वजन तक का भार लेकर डिलिवरी कर सकती है। इसके साथ इसकी एक और बड़ी खूबी यह है कि यह ब्लूटूथ डिलिवरी कार कच्चे-पक्के सभी रास्तों पर चलने में सक्षम है। यानि यह फर्श के साथ ही कच्चे सरफेस पर भी चल सकती है। कार दो छोटी डीसी मोटर से चलती है, जिसे तीन बैटरियों से पावर मिलता है। कार का प्रोटोटाइप (छोटा माॅडल) बनाने में 1100 रुपये का खर्च आया है। नमित ने बताया कि उन दोनों को बचपन से कुछ नया और अलग करने की इच्छा थी। यह इच्छा कारोना काल में पूरी हुई। वह आत्मनिर्भर भारत अभियान से बहुत प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि वह अपनी डिलिवरी कार को पेटेंट कराने की कोशिश भी कर रहे हैं।