कैसे होता है सेहुँआ हमारे त्वचा की नेचुरल रंगत मेलनिन नाम के पिगमेंट से मिलती है। जब शरीर में मेलनिन ज्यादा हो, तो रंगत सांवली होती है। अगर मेलनिन कम हो, तो त्वचा का रंग साफ होता है। वहीं अगर मेलनिन की मात्रा काफी कम हो जाए, तो सफेद दाग बनने लगते हैं, जिसे सेहुँआ या सिउली कहते हैं। आधुनिक अनुसंधान से पता चला है कि ये ज्यादातर मलेसेजिया ग्लोबोसा नाम के कवक से होता है।
सेहुँआ कोई बीमारी नहीं सफेद दाग को ल्यूकोडर्मा कहा जाता है। इसे ठीक करने के लिए ज्यादातर लोग दवाएँ करते हैं, लेकिन इसे ठीक होने में काफी वक्त लगता है। कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि ये कैंसर या कोढ़ का शुरूआती स्टेज है, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है। ये किसी तरह की बीमारी नहीं होती।
पुरूषों के मुकाबले महिलाओं में ये रोग ज्यादा पुरूषों के मुकाबले महिलाओँ में ये रोग ज्यादा पाया जाता है। शुरूआत में ये छोटे आकार के होते हैं इसलिए लोग इन पर ज्यादा
ध्यान नहीं देते। लेकिन धीरे-धीरे ये दाग बढ़ने लगते हैं औऱ पूरे शरीर में फैल जाता है।
ट्रीटमेंट का एडवांस्ड तरीका इसका ट्रीटमेंट करने के लिए अलाहाबाद यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने एक अनोखा तरीका निकाला है। इस टीम को लीड कर रहे बॉटनी डिपार्टमेंट के फैकल्टी मेम्बर अनुपम दीक्षित ने बताया कि सेहुआ वो त्वचा रोग है, जो मेलनिन की कम मात्रा होने की वजह से होता है। ये त्वचा की नेचुरल रंगत को प्रभावित करता है।
मलेसेजिया ग्लोबोसा नाम के फंगस की फसल सेहुआ के ट्रीटमेंट के लिए अलाहाबाद यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने लिक्विड मीडियम का आयोजन किया है, जिससे मलेसेजिया ग्लोबोसा नाम के फंगस की फसल उगायी जा सकती है। इस अनोखे तरीके को टीम ने पेटेंट भी करवाया है (इंडियन पेटेंट नम्बर 290771)।
विषनाशक औषधी का लैब में टेस्ट ऐसे नायाब तरीके से सेहुआ का इलाज करना आसान नहीं। इस चैलेंज को पूरा करने के लिए एक विषनाशक औषधी का लैब में टेस्ट करना जरूरी था। ऐसी विषनाशक औषधी जो कि इस फंगस का खात्मा कर सके।
मार्केट के मीडियम के मुकाबले ये मेथड है अच्छा अनुपम दीक्षित ने बताया कि हमारा
काम एक ऐसा तरीका खोज निकालना था, जो हेल्दी हो। इससे किसी को कोई नुकसान नहीं। मार्केट में जो मीडियम उपस्थित है, वो इतना सस्ता नहीं कि उससे सेहुँआ का इलाज हो सके। इसके मुकाबले हमने जो तरीका निकाला है, वो इस स्किन प्रॉब्लम के ट्रीटमेंट के लिए लाभदायक भी है और हेल्दी भी।