scriptसीजीएसटी अधिनियम के तहत उल्लंघन का उल्लेख करना पर्याप्त नहीं- इलाहाबाद हाईकोर्ट | Mentioning violations under CGST Act is not enough: High Court | Patrika News
प्रयागराज

सीजीएसटी अधिनियम के तहत उल्लंघन का उल्लेख करना पर्याप्त नहीं- इलाहाबाद हाईकोर्ट

कोर्ट ने यह भी कहा कि केवल उचित अधिकारी की इच्छा पर एक पंजीकरण रद्द नहीं किया जा सकता है। इसे रद्द इस तरह किया जा सकता है कि पंजीकृत व्यक्ति अधिनियम या नियम के किसी प्रावधान का उल्लंघन करता है या यदि व्यक्ति लगातार तीन कर अवधि के लिए रिटर्न प्रस्तुत नहीं करता है या लगातार छह महीने तक रिटर्न नहीं देता है।

प्रयागराजJul 20, 2022 / 11:46 am

Sumit Yadav

सीजीएसटी अधिनियम के तहत उल्लंघन का उल्लेख करना पर्याप्त नहीं- इलाहाबाद हाईकोर्ट

सीजीएसटी अधिनियम के तहत उल्लंघन का उल्लेख करना पर्याप्त नहीं- इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जीएसटी से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कारण बताओ नोटिस में जीएसटी रजिस्ट्रेशन रद्द करने का कारण बताना चाहिए। इसके साथ ही आगे न्यायालय ने सुनवाई में यह भी कहा कि केवल सीजीएसटी अधिनियम के तहत उल्लंघन का उल्लेख करना पर्याप्त नहीं है। मामले में आगे सुनवाई करते हुए जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह की एकल पीठ ने कहा है कि पंजीकरण रद्द करने के सबसे गंभीर नागरिक परिणाम हैं। जहां सीजीएसटी अधिनियम की धारा 29(1) कुछ घटनाओं के घटित होने की तिथि से रद्द करने के लिए विशिष्ट आधार प्रदान करती है, वहीं धारा 29(2) पूर्वव्यापी तिथि के साथ पंजीकरण को रद्द करने सहित कठोर परिणामों का प्रावधान करती है।
इस तरह रद्द किया जा सकता है पंजीकरण

मामले में कोर्ट ने यह भी कहा कि केवल उचित अधिकारी की इच्छा पर एक पंजीकरण रद्द नहीं किया जा सकता है। इसे रद्द इस तरह किया जा सकता है कि पंजीकृत व्यक्ति अधिनियम या नियम के किसी प्रावधान का उल्लंघन करता है या यदि व्यक्ति लगातार तीन कर अवधि के लिए रिटर्न प्रस्तुत नहीं करता है या लगातार छह महीने तक रिटर्न नहीं देता है। इसके साथ ही वह पंजीकरण प्रदान करने के छह महीने के भीतर व्यवसाय शुरू नहीं करता है या धोखाधड़ी, जानबूझकर गलत बयान, या तथ्यों को छिपाने के माध्यम से पंजीकरण प्राप्त किया गया है, तो पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।
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मामले में याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जाहिरा तौर पर अधिनियम की धारा 29 (2) (ए) के संदर्भ में, क्योंकि नोटिस दिनांक 9.7.2021 ने जीएसटी अधिनियम या नियमों के निर्दिष्ट प्रावधानों के गैर-अनुपालन का आरोप लगाया था। हालांकि, उस नोटिस में कथित रूप से अधिनियम या नियमों के सटीक उल्लंघन का खुलासा नहीं किया गया था। जब तक उस आरोप को विवरण के साथ नोटिस में निर्दिष्ट नहीं किया गया था और जब तक याचिकाकर्ता के प्रतिकूल मानी जाने वाली सामग्री का उसके जवाब पाने के उद्देश्य से सामना नहीं किया गया था, तब तक दिनांक 9.7.2012 का नोटिस पूरी तरह से अस्पष्ट और मौन रहेगा।

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