‘भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका पड़ेगा व्यापक असर’
भू-स्थैतिक कक्षा (GSO) और पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की जरूरतों और योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर सोमनाथ ने कहा कि अगर कोई भारतीय मूल की कंपनी स्टारलिंक या वन वेब की तरह पृथ्वी की निचली कक्षा में उपग्रहों का एक बड़ा नक्षत्र स्थापित करे और वैश्विक स्तर पर उसका परिचालन हो तो देश की अर्थव्यवस्था पर उसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा। इसरो और देश की नीतियां इसका पूरा समर्थन करती हैं लेकिन, इसके लिए बड़े निवेश की जरूरत होगी।‘GSO में हमारे 18 उपग्रह ऑपरेशनल हैं’
इसरो अध्यक्ष Somanath ने कहा कि भू-स्थैतिक कक्षा में हमारे 18 उपग्रह ऑपरेशनल हैं। हम इसकी क्षमता और बढ़ाना चाहते हैं। भू-स्थैतिक कक्षा में भेजे जाने वाले उपग्रहों के निर्माण और प्रक्षेपण की जिम्मेदारी सरकारी न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (New Space India Limited) को सौंपी गई है। अब हम निजी कंपनियों को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वे अपने उपग्रह का निर्माण कराएं और उनका प्रक्षेपण कराएं। भू-स्थैतिक कक्षा में स्लॉट और फ्रीक्वेंसी हासिल करने के लिए पंजीकरण करना होगा। तो यहां काफी बदलाव हो रहे हैं। जहां तक पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) का सवाल है तो यह अब राष्ट्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक हो चुका है। जो भी उपग्रह निचली कक्षा में भेजे जा रहे हैं वे वैश्विक घटनाक्रम का हिस्सा हैं। वन-वेब और स्टारलिंक ने इसमें अपने उपग्रहों की शृंखला लाॅन्च कर एक बड़ा नक्षत्र तैयार किया है।‘इस बारे में बड़ी कंपनियों से चल रही है बातचीत’
यह पूछे जाने पर कि क्या एक भारतीय कंपनी भी ऐसा कर सकती है? क्या वह, वैश्विक स्तर पर इसका परिचालन करने में सक्षम है? सोमनाथ ने कहा कि हमें नहीं मालूम कि किसी में यह क्षमता है या नहीं लेकिन हमें इसके लिए क्षमता विकसित करनी होगी। सोमनाथ ने कहा कि वह कई बड़ी संचार कंपनियों के साथ इस विषय पर बात कर रहे हैं कि क्या वे पृथ्वी की निचली कक्षा में अपना नक्षत्र स्थापित करेंगी?यह भी पढ़ें – Delhi New CM Atishi नहीं, ये रहीं भारत की सबसे कम उम्र की महिला मुख्यमंत्री, सुचेता कृपलानी थीं देश की पहली वुमन CM