राष्ट्रीय एकता का संदेश
मनोज श्रीवास्तव के नेतृत्व में झारखंड से 55 लोगों का जत्था प्रयागराज पहुंचा। इस जत्थे ने भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाते हुए संगम पर स्नान किया। जत्थे के सभी सदस्य हाथों में तिरंगा लेकर संगम की ओर बढ़ रहे थे। उनके इस उत्साह और राष्ट्रभक्ति ने मेले में आए अन्य श्रद्धालुओं को भी प्रेरित किया।
महाकुंभ का महत्व
मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक भी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रध्वज लेकर संगम पर स्नान करना उनके लिए गर्व की बात है। यह न केवल उनकी श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि राष्ट्रीय एकता और समर्पण का संदेश भी देता है। साफ-सफाई की तारीफ
महाकुंभ मेले की व्यवस्थाओं से प्रभावित मनोज और उनके जत्थे ने साफ-सफाई और अन्य इंतजामों की सराहना की। उन्होंने कहा कि मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बावजूद प्रशासन ने स्वच्छता और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा है।
श्रद्धालुओं का उत्साह
स्नान के दौरान जत्थे में शामिल सदस्य अत्यधिक उत्साहित नजर आए। उन्होंने बताया कि महाकुंभ में आकर न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय एकता का अनुभव भी होता है।
महाकुंभ में उमड़ा जनसैलाब
मकर संक्रांति के अवसर पर संगम तट पर लाखों श्रद्धालु पहुंचे। हर ओर धार्मिक जयकारे और राष्ट्रभक्ति के नारे गूंजते रहे। अखाड़ों के साथ चलने वाले साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने भी जगह-जगह पर भारत माता की जय के नारे लगाए। प्रमुख तथ्य
- घटना: महाकुंभ का मकर संक्रांति स्नान पर्व।
- स्थान: संगम तट, प्रयागराज।
- जत्था: झारखंड से मनोज श्रीवास्तव के नेतृत्व में 55 श्रद्धालु।
- विशेषता: हाथों में तिरंगा लेकर राष्ट्रीय एकता का संदेश।
- प्रशंसा: साफ-सफाई और प्रशासन की व्यवस्थाओं की सराहना।