याची के अधिवक्ता आलोक कुमार यादव का कहना था कि याची को गांव सभा का पैनल अधिवक्ता नामित किया गया। उसे गांव सभा की ओर से नोटिस लेने व प्रतिवाद करने के लिए अधिकृत किया गया। ऐसे में अधिवक्ता कोर्ट में मौजूद रहे तो उसे फीस देने से इनकार नहीं किया जा सकता।
जौनपुर से नहीं हुआ भुगतान
यह भी कहा वाराणसी, गाजीपुर व चंदौली के जिलाधिकारियों ने याची के बिलों का भुगतान कर दिया है, जौनपुर के डीएम भुगतान नहीं कर रहे हैं। जिसके लिए याचिका की गई। याची ने की थी फीस भुगतान की मांग
याची ने 4,12,275 रुपये 18 फीसदी ब्याज सहित बकाया अधिवक्ता फीस भुगतान करने की मांग की थी। याची को 16 मई 2013 को चार जिलों की गांव सभा का पैनल अधिवक्ता नियुक्त किया गया था। उसे 27 दिसंबर 2019 को हटा दिया गया। कोर्ट ने कहा कि याची ने उन केसों जिसमे गांव सभा पक्षकार थी, प्रोफेशनल कार्य किया है, जिसके लिए उसे अधिकृत किया गया था। भले ही केस से गांव सभा का सीधा सरोकार नहीं था, फिर भी अधिवक्ता ने अपना काम किया है इसलिए उसे फीस पाने का अधिकार है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता।