याची गौरव कुमार की याचिका पर न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने सुनवाई की। याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची ने 2018 की पुलिस भर्ती के लिए आवेदन किया था। वह फिजिकल टेस्ट और अन्य परीक्षाओं में सफल हुआ, इस बीच निजी रंजिश में उसके खिलाफ प्राथिमिकी दर्ज करा दी गई । जिसकी वजह से उसे जेल जाना पड़ा। इस दौरान भर्ती बोर्ड ने 12 अप्रैल 2019 और 21 अप्रैल 2019 को मेडिकल टेस्ट के लिए पत्र भेजा, मगर जेल में होने के कारण याची मेडिकल में शामिल नहीं हो सका ।जेल से छूटने के बाद वह मेडिकल के लिए पुलिस भर्ती बोर्ड गया तो उसे इस आधार पर मेडिकल कराने से मना कर दिया गया कि याची जेल गया था।