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प्रयागराज

‘डराकर या भ्रम में रखकर शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म’, रेप मामले में HC ने सुनाया फैसला

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने डराकर या भ्रम में रखकर शारीरिक संबंध बनाने को दुष्कर्म माने जाने की बात कही है। आगरा के राघव कुमार की याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने निर्णय दिया है।

प्रयागराजSep 15, 2024 / 05:14 pm

Prateek Pandey

allahabad high court
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि अगर कोई व्यक्ति भले ही महिला की सहमति से उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए लेकिन अगर वह महिला डरकर या भ्रम में आकर ऐसी सहमति देती है तो इस संबंध को दुष्कर्म माना जाएगा। 

मामले की सुनवाई के दौरान की टिप्पणी

जस्टिस अनिस कुमार गुप्ता ने आगरा के राघव कुमार नामक एक व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। राघव पर आरोप है कि उसने एक महिला को शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया था। राघव ने इस मामले में पुलिस की ओर से दाखिल किए गए आरोप-पत्र को रद्द करने का अनुरोध अदालत से किया था।

बेहोश करके शारीरिक संबंध बनाने का है आरोप

जानकारी के मुताबिक एक महिला ने राघव के खिलाफ आगरा के महिला थाने में आईपीसी की धारा 376 के तहत मामला दर्ज कराया था। मामले की विवेचना के बाद पुलिस ने 13 दिसंबर, 2018 को आगरा के जिला एवं सत्र न्यायालय में राघव के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था। महिला ने आरोप लगाया था कि राघव ने पहली बार बेहोश करके शारीरिक संबंध बनाया था। इसके बाद वो शादी का झूठा वादा करके लंबे समय तक यौन शोषण करता था।
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क्या रही पक्ष-विपक्ष की दलील

मामले में याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि आरोपी और महिला एक-दूसरे को जानते थे और साथ में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। दोनों के बीच सहमति से शारीरिक संबंध बने जो लंबे समय तक जारी रहे, इसलिए आरोपी राघव के खिलाफ दुष्कर्म का मामला नहीं बनता। इसके इतर राज्य सरकार के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि दोनों पक्षों के बीच शारीरिक संबंध की शुरुआत धोखाधड़ी से हुई है, राघव ने बलपूर्वक संबंध बनाए। इसके लिए महिला की ओर से कोई सहमति नहीं थी, इसलिए यह दुष्कर्म का स्पष्ट मामला है।
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अदालत ने क्या दिया फैसला

दोनों पक्षों की जिरह-बहस सुनने और साक्ष्यों पर गौर करने के बाद अपने निर्णय हाईकोर्ट ने कहा, “चूंकि याचिकाकर्ता द्वारा शुरुआती संबंध धोखाधड़ी, धमकी के साथ और महिला की इच्छा के विरुद्ध स्थापित किए गये, इसलिए प्रथम दृष्टया यह आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म) के तहत अपराध का मामला बनता है। तदनुसार, इस अदालत को आपराधिक मुकदमा रद्द करने का कोई उचित कारण नहीं दिखता।”

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