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प्रयागराज

इलाहाबाद के बीमारी बांटने वाले अस्पताल और डेंगू का कहर

अस्पताल खुद हैं बीमार, तो डेंगू और चिकनगुनिया से लोगों को कैसे बचाएंगे।

प्रयागराजOct 24, 2016 / 06:49 pm

वाराणसी उत्तर प्रदेश

Swaroop Rani Nehru Hospital Allahabad

Swaroop Rani Nehru Hospital Allahabad

इलाहाबाद. सरकार कह रही है कि डेंगू और चिकनगुनिया को लेकर बेवजह की अफवाह न फैलाएं। यूपी के अस्पताल इसके लिये तैयार हैं। हम डेंगू और चिकनगुनिया समेत बीमारियों से लड़ने में पूरी तरह सक्षम हैं और तैयारी भी पूरी है। एक बारगी तो सरकार के इस दावे से कुछ राहत मिलती है पर इलाहाबाद में अस्पतालों का हाल देखने के बाद ये दावे खोखले साबित होते हैं। बीमारी बांटने वाले इलाहाबाद के अस्पताल बीमारियों से लोगों की सुरक्षा कैसे करेंगे यह बड़ा सवाल है।




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अस्पताल की ये गंदगी किस नियम के तहत




शहर में डेंगू और चिकनगुनिया के बढ़ते प्रकोप के बावजूद स्वास्थ्य विभाग का अमला गहरी नींद में सोया है। हॉस्पिटल में फैली गंदगी से मरीजों के साथ परिजनों पर भी बीमारी का खतरा बना हुआ है। इसके अलावा सुविधाएं न हाने से अस्पताल में मरीजों की परेशानी कम होने के बजाय बढ़ रही है।



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अस्पताल में ऐसी गंदगी किस नियम के तहत



आंकड़ों को सही मानें तो इलाहाबाद के सरकारी अस्पतालों में अब-तक करीब चार सौ से ज्यादा डेंगू के मरीजों की पहचान हो चुकी है। वहीं निजी अस्पतालों में यह संख्या तीनगुनी से ज्यादा हो सकती है। हालांकि सीएमओ डॉ. आलोक वर्मा की मानें तो निजी हॉस्पिटल में भर्ती डेंगू मरीजों को विशेष तवज्जो नहीं मिल पाती। इसकी मुख्य वहज यह है कि पूरे मंडल में सिर्फ मोती लाल नेहरू चिकित्सालय में ही ऐसी मशीन है जिससे डेंगू की सही जांच हो पाती है। शहर के सरकारी अस्पताल स्वरूपरानी चिकित्सालय, बेली हॉस्पिटल व काल्विन हॉस्पिटल में रोजाना इलाहाबाद सहित अन्य जिले के हजारों मरीज अलग-अलग बीमारियों का इलाज कराने आते हैं।



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अस्पताल के वार्ड



अस्पताल में घुसते ही गंदगी और बदबू से लोगों का वहां रहना मुश्किल हो जाता है। वार्ड में खिड़िकयों के बाहर से जमा कचरे की बदबू रहने नहीं देती। गंदगी और बदबू से परिजनों में भी बीमारी का खतरा बढ़ रहा है। एक कर्मचारी ने नाम छिपाने की शर्त पर बताया कि अस्पिटल में सफाई के लिए कर्मचारी तो तैनात हैं, पर वो सफाई करने से कतराते हैं। कुछ बड़े डॉक्टर्स की शह के चलते उनका मन बढ़ा हुआ है। यही वजह है कि उन्हें कोई कुछ बोल भी नहीं पाता। स्वरूपरानी हॉस्पिटल में मरीज के परिजनों को बैठने व आराम के लिए बनाया गया पार्क भी बदहाल है। छुट्टे पशु यहां बेरोकटोक विचरण करते हैं, जिसके चलते गंदगी होती है और कोई वहां बैठना भी नहीं चाहता।



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अस्पताल में फैली गंदगी, फैलाएगी बीमारी


 
हॉस्पिटल में आने जाने का कोई समय नहीं
स्वरूपरानी हॉस्पिटल में प्रतिदिन करीब 2 हजार मरीज दवा लेने के लिए रसीद कटवाते हैं। लंबी कतार के बाद हॉस्पिटल के पास संबंधित डॉक्टर के पास जाते हैं। लेकिन वहां उन्हें कभी समय पर हॉस्पिटल नहीं मिलते। आने के बाद समय से पहले उठा जाना उनकी आदत बन चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी इससे परिचित भी हैं लेकिन ऐेसे लापरवाह डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही।



स्ट्रेचर के लिए घमासान
हॉस्पिटल में मरीजों को ले जाने व ले आने के लिए स्ट्रेचर के लिए कर्मचारी आपस में ही घमासान कर लेते हैं। मरीजों को इसकी मुख्य वजह हॉस्पिटल में नए मरीज के आते ही उनसे 20 रूपए स्टेªचर चार्ज लेते हैं।



बिजली के संकट से परेशान मरीज
हॉस्पिटल में बिजली के आने जाने का कोई समय नहीं है। यहां के मरीजों ने बताया ज्यादातर तो वार्ड के अंधर अंधेरा ही रहता है। कभी बिजली रहती है तो कभी अचानक चली जाती है। खराब बिजली व्यवस्था के कारण मरीजों के विभिन्न चेकअप सहित अन्य चीजों में काफी परेशानी उठानी पड़ती है।

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