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चिन्मयानंद की बढ़ी मुश्किल, पीड़ित छात्रा ने हाइकोर्ट में दाखिल की अर्जी, की यह मांग

अगली सुनवाई की तारीख मुकर्रर

प्रयागराजOct 22, 2019 / 02:48 pm

प्रसून पांडे

Chinmayanand difficulty increased,victim filed application highcourt

चिन्मयानंद की बढ़ी मुश्किल, पीड़ित छात्रा ने हाइकोर्ट में दाखिल की अर्जी, की यह मांग

प्रयागराज | एलएलएम छात्रा के साथ यौन शोषण करने के आरोपी पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद के लिए आने वाले दिन और मुश्किल भरे हो सकते हैं। पीड़िता ने कोर्ट में मिसलेनियस एप्लीकेशन दाखिल कर नई धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। वहीं पीड़िता ने 5 सितंबर को दिल्ली के लोधी थाने में भी मामला दर्ज करवाया है।अब कोर्ट ने पीड़िता की अर्जी पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। इसके साथ ही मंगलवार को मामले में एसआईटी ने सील बंद लिफाफे में कोर्ट के सामने प्रोग्रेस रिपोर्ट भी पेश की है। जिसमें एसआईटी ने कोर्ट को बताया है कि वीडियो क्लिप की फॉरेंसिक लैब से रिपोर्ट आने में समय लगेगा। एसआईटी के अनुसार 4 हफ्ते में वीडियो क्लिप की फॉरेंसिक रिपोर्ट आने की संभावना है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच एसआईटी जांच की मांग कर रही है। मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होनी है।

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गौरतलब है कि मामले की पिछली सुनवाई 23 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुई थी।हाईकोर्ट में करीब डेढ़ घंटे तक सुनवाई चली थी । जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने चिन्मयानंद की ब्लैक मेलिंग मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगाने को लेकर छात्रा की ओर से दाखिल अर्जी को ठुकरा दिया था ।अदालत ने कहा था कि यह स्पेशल बेंच है जो सिर्फ एसआईटी की मॉनिटरिंग करेगी। हालांकि जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस मंजू रानी चौहान की खंडपीठ ने छात्रा से कहा था कि गिरफ्तारी पर रोक के लिए अलग से नियमित कोर्ट में अर्जी दाखिल की जा सकती है।

अदालत में छात्रा द्वारा मजिस्ट्रेट के सामने 164 का बयान दोबारा दर्ज कराए जाने की अनुमति भी ठुकरा दी थी। अदालत ने कहा था कि छात्रा ट्रायल कोर्ट में इसके लिए अर्जी दाखिल कर सकती है या कोर्ट निचली अदालत के काम में दखल नहीं देगी छात्रा ने मजिस्ट्रेट बयान के दौरान एक अनजान महिला के मौजूद रहने व सिर्फ अंतिम पेज पर ही दस्तखत कराने का सुनवाई के दौरान आरोप भी लगाया था ।अदालत ने यूपी सरकार की ओर से इस मामले में सुनवाई बंद कमरे में किए जाने की मांग भी अस्वीकार कर दी थी। मामले की सुनवाई शुरू होने पर सबसे पहले इस आईटी ने सीलबंद लिफाफे में जांच की प्रोग्रेस रिपोर्ट अदालत के सामने रखी। एसआईटी ने तीन लिफाफे में अदालत को प्रोग्रेस रिपोर्ट सौंपी थी एसआईटी आईजी नवीन अरोड़ा ने सुबूत के तौर पर सुबूत के तौर पर पेन ड्राइव सीडी और अन्य दस्तावेज कोर्ट में पेश किए थे। हालांकि अदालत एसआईटी की तब तक की जात से फौरी तौर पर संतुष्ट नजर आई थी। कोर्ट ने एसआईटी को 22 अक्टूबर को अगली प्रोग्रेस रिपोर्ट दाखिल करने का आर्देश दिया था।

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