41 वर्ष में त्याग दिया था सांसारिक जीवन
1992 में 41 वर्ष की आयु में उन्होंने सांसारिक जीवन त्याग दिया और सनातन धर्म के प्रचार में लग गए। उनके परिवार के लोग आज भी विदेश में रहते हैं, लेकिन मुक्तानंद गिरि ने संन्यास के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इन दिनों स्वामी मुक्तानंद महाकुम्भ में सेक्टर 18 स्थित संगम लोअर मार्ग पर पायलट बाबा के शिविर का संचालन देख रहे हैं। भगवा वस्त्रत्त् धारण किए हुए, सरल स्वभाव और प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले मुक्तानंद गिरि के साथ जब लोग उन्हें फर्राटेदार अंग्रेजी और रूसी भाषा में बात करते हुए देखते हैं, तो आश्चर्यचकित हो जाते हैं।
‘सनातन धर्म को जीवन समर्पित’
स्वामी मुक्तानंद का कहना है कि पंजाब में अक्सर संन्यासियों को गृहस्थ जीवन में असफल माना जाता है, लेकिन उन्होंने इस धारणा को गलत साबित किया। उनकी शिक्षा और करियर ने उन्हें दुनियाभर में पहचान दिलाई, लेकिन उन्होंने संन्यास का मार्ग अपनाकर पूरी तरह सनातन धर्म की सेवा में जीवन समर्पित कर दिया।