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प्रयागराज

संतों -महंतों के बीच इस बार कुंभ में सजेगा राजनीति का अखाड़ा, भाजपा-संघ की नजर सियासी ‘पुण्य’ पर

राजनीत की धारा बता रही विपक्ष की ‘सियासी डुबकी’ खूब भी लगेगी

प्रयागराजOct 04, 2018 / 08:09 pm

प्रसून पांडे

Allahabad kumbh 2019 and this is another kumbh in Lucknow

Allahabad kumbh 2019 and this is another kumbh in Lucknow

इलाहाबाद: संगम की रेती पर लगने वाला कुंभ मेला 2019 में आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक मंच भी साबित होने जा रहा है। प्रयाग 2019 में लगने वाला कुंभ मेला कई कारणों से चर्चा में है। एक तरफ जहां कुंभ में करोड़ों लोग देश और विदेश से आएंगेए वहीं लोकसभा चुनाव से पहले कुंभ को बीजेपी सरकार भव्य और दिव्य बनाने में जुटी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक देश विदेश में घूम कर ब्रान्डिंग कर रहे हैं। अर्धकुंभ का नाम बदल कर कुंभ किया गया है जिसको लेकर सियासत जारी है। कुंभ को लेकर सरकार की तैयारियों के साथ विपक्ष भी संगम सियासी डुबकी लगाने को तैयार है।

जिस तरह दुनिया भर में कुंभ की ब्रांडिंग हो रही है। उससे यह सवाल उठने लगे हैं की क्या पहली बार प्रयागराज में कुंभ का आयोजन हो रहा है। दरअसल 2019 में कुंभ मेला खत्म होने के बाद देश की सबसे बड़ी पंचायत का चुनाव होना है।भाजपा के लिए अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा सियासी मुद्दा नहीं रह गया और ना ही उनके इस मुद्दे पर लोग उनके साथ जाते दिख रहे हैं।और यह भी तय है कि 2014 में जिस विकास के एजेंडे पर भाजपा ने चुनाव लड़ा था अब वह भाजपा के लिए उतना प्रभावी नहीं रह गया है। ऐसे में अपने परंपरागत वोट को बचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी कुंभ मेले में बड़ा सियासी दांव खेलने की तैयारी में है।

देश में राम मंदिर का विकल्प बनेगा कुंभ
कुंभ मेले में जहां भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व को धार देने के लिए तमाम आयोजन के जरिये हिन्दुओ के हमदर्द होने का संदेश देने की चाह रही है। वही उसके अनुषंगिक विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठन भी देशभर के हिंदुओं को एकजुट करने की कवायद में लग गये है। लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर के मुद्दे पर अगर कोर्ट का कोई फैसला नहीं आता है। कि भाजपा के लिए अच्छे संकेत नहीं होंगे। राम मंदिर के मुद्दे पर कोई भी हिन्दू समझौता नही चाह चाहता है। नाराज हिन्दुओ को साधने के लिए भाजपा त्रिवेणी की धारा में डुबकी लगाकर सियासी पुन्य कमाने की कोशिश कर रही है। भाजपा नेतृत्व को यह पता है की सरकार के एससी एसटी जैसे मुद्दे ने उनके परंपरागत वोट बेड में बड़ी सेंध कर चुके हैं।

अमित शाह ने दिया बड़ा संकेत
सरकार की तैयारी और विपक्ष का विरोध यह साफ़ बता रहा है की आगामी कुंभ राजनीति का अखाड़ा बनने जा रहा है।इसका संकेत बीते 27 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर जूना अखाड़े के कार्यक्रम में शिरकत करके भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने एक बड़ा संदेश दिया है।उनका यह प्रवास इस बात का भी इशारा करता है कि भारतीय जनता पार्टी संतों के जरिए संगम के तट से अपनी सियासी नैया पार करना चाहती है।

कुंभ के नाम से शुरू हुई सियासी रार
कुंभ मेले के मुद्दे पर विपक्ष लगातार योगी सरकार के फैसले का विरोध कर रहा है। सरकार द्वारा अर्धकुंभ को पूर्ण कुंभ घोषित किया गया जिसका विरोध लगातार होता आ रहा है। दरअसल योगी सरकार ने आगामी अर्धकुंभ मेले को कुंभ की संज्ञा दी है। उसी के आधार पर लोगो जारी किया है यूपी में सपा समेत सभी विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया।यह मुद्दा लंबे समय तक विधानसभा में गरमाया रहा। वहीं कांग्रेस सहित समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दल कुंभ मेले में खुद को हिंदूवादी दिखाने के लिए कोई कसर छोड़ने वाले नहीं है। जिसको लेकर यह तय माना जा रहा है, कि संगम की रेती सियासी संग्राम का एक बड़ा स्थान साबित होने जा रहा है।

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