एसआईटी प्रभारी एडीसीपी क्राइम सतीश चंद्र, एसीपी सत्येंद्र तिवारी ने टीम के साथ बुधवार दोपहर दो बजे हत्यारोपी अरुण, सनी और लवलेश से पूछताछ शुरू की। पुलिस ने शुरुआत में मनोवैज्ञानिक तरीके से तीनों से बातचीत शुरू की। धीरे-धीरे तीनों आरोपी एसआईटी के सामने खुलने लगे। अभी तक इस हत्याकांड में किसी बाहरी व्यक्ति की संलिप्तता की बात सामने नहीं आई है। फिर भी एसआईटी बारीकी से पूछताछ कर रही है।
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आरोपियों ने पुरानी बात दोहराईदोपहर में आरोपियों को भोजन कराने के बाद एसआईटी ने फिर पूछताछ शुरू की। पूछा कि उनको विदेशी पिस्टल कहां से मिली। इसपर सनी और अरुण ने कहा कि उनके पास यह पिस्टल पहले से थी। अरुण ने बताया कि पानीपत में उसके एक दोस्त ने उसे यह पिस्टल दी थी। सनी ने कहा कि वह सुंदर भाटी गैंग से जुड़ा था। उसी गैंग के एक शूटर ने विदेशी पिस्टल रखने के लिए दी थी। बाद में उसकी मौत हो गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एसआईटी ने जब अतीक अहमद और अशरफ की हत्या की वजह पूछी तो सनी ने बेबाकी से जवाब दिया। कहा कि उसका कोई आका नहीं है, वह खुद डॉन है। अतीक से बड़ा डॉन बनने के लिए ही उसने अपने साथी अरुण और लवलेश के साथ अतीक और अशरफ की हत्या की। कुछ इसी अंदाज में अरुण और लवलेश ने भी जवाब दिए।
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लखनऊ की फोरेंसिक टीम दोहराएगी सीनएसआईटी अपनी जांच के लिए लखनऊ की फोरेंसिक टीम की मदद लेगी। गुरुवार को लखनऊ की टीम प्रयागराज आ जाएगी। इसके बाद एसआईटी तीनों हत्यारोपियों को लेकर कॉल्विन अस्पताल जाएगी। वहां पर पूरे वारदात का सीन दोहराया जाएगा। एसआईटी आरोपियों के बयान के आधार पर वहां पर हत्याकांड का सीन क्रिएट करेगी। शूटर कहां पर छिपे थे। कैसे इन्होंने अतीक के पहुंचने पर फायरिंग शुरू की।
अरुण, सनी और लवलेश को अतीक और अशरफ के कॉल्विन पहुंचने की जानकारी किसने दी। किसकी मदद से तीनों शूटर को फायरिंग की ट्रेनिंग मिली। तुर्किए की महंगी पिस्टल जिगाना और गिरसाना कहां से आई। तीनों के मोबाइल कहां है, कहीं ऐसा तो नहीं कि बरामदगी नहीं दिखाई गई।