scriptAllahabad High Court: भ्रष्टाचार सिस्टम के लिए दीमक- न्यायमूर्ति कृष्ण पहल | Allahabad High Court Said termites for corruption system | Patrika News
प्रयागराज

Allahabad High Court: भ्रष्टाचार सिस्टम के लिए दीमक- न्यायमूर्ति कृष्ण पहल

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा किभ्रष्टाचार हर प्रणाली में दीमक की तरह है। एक बार यह सिस्टम में प्रवेश कर जाता है तो यह बढ़ता चला जाता है। आज यह बड़े पैमाने पर फैल गया है और एक दिनचर्या की तरह बन गया है। इस खतरे को ध्यान में रखना होगा। न्यायालय को अभियुक्तों के मौलिक अधिकारों को जांच एजेंसी की तुलना में व्यापक रूप से समाज के वैध सरोकारों के साथ संतुलित करना होगा।

प्रयागराजMar 06, 2022 / 10:25 am

Sumit Yadav

Allahabad High Court: भ्रष्टाचार सिस्टम के लिए दीमक- न्यायमूर्ति कृष्ण पहल

Allahabad High Court: भ्रष्टाचार सिस्टम के लिए दीमक- न्यायमूर्ति कृष्ण पहल

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही हो रहे समाज में भ्रष्टाचार के बढ़ते खतरे और डॉक्टरों द्वारा हिप्पोक्रेटिक शपथ की गंभीरता पर महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार हर प्रणाली में दीमक की तरह है। एक बार यह सिस्टम में प्रवेश कर जाता है तो यह बढ़ता चला जाता है। आज यह बड़े पैमाने पर फैल गया है और एक दिनचर्या की तरह बन गया है। गरीबी बेरोजगारी अशिक्षा प्रदूषण बाहरी खतरे अविकसितता असमानता सामाजिक अशांति जैसी सभी समस्याओं का मूल कारण भ्रष्टाचार है।
इस खतरे को ध्यान में रखना होगा। न्यायालय को अभियुक्तों के मौलिक अधिकारों को जांच एजेंसी की तुलना में व्यापक रूप से समाज के वैध सरोकारों के साथ संतुलित करना होगा। न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने डॉक्टर द्वारा ली गई हिप्पोक्रेटिक शपथ को ध्यान में रखते हुए कहा कि चिकित्सक दीक्षांत समारोह के समय इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा प्रदान की गई शपथ दिलाते हैं। जो दुनिया भर में ली गई हिप्पोक्रेटिक शपथ का विस्तार है। शपथ केवल औपचारिकता नहीं है। इसका पालन करना चाहिए। यह इसी तर्ज पर है कि शीर्ष चिकित्सा शिक्षा नियामक राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने सुझाव दिया है कि चिकित्सा सेवाओं में स्नातकों के लिए दीक्षांत समारोह के दौरान हिप्पोक्रेटिक शपथ को चरक शपथ से बदल दिया जाए।
यह भी पढ़ें

Allahabad High Court: अवमानना के आरोपी जिला अदालत में लिपिक रहे विक्रम शर्मा जाने क्यों नैनी जेल में हुए पेश

चिकित्सा और कानूनी क्षेत्र एक पेशे की तुलना में अधिक सेवा है। विशेष रूप से ऑन्कोलॉजी की धारा जो जीवन और मृत्यु से संबंधित है। कोर्ट ने अर्जी खारिज करते हुए कहा कि कोर्ट का काम कई गुना है। सबसे पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित आवेदक के जीवन और स्वतंत्रता का अतिक्रमण करने के लिए प्रक्रिया का कोई अनुचित दुरुपयोग या दुरुपयोग न हो। दूसरे यह देखना होगा कि कानून के शासन का पालन किया जाता है और न्याय के प्रशासन में बाधा नहीं आती है, दोषियों को दंडित किया जाता है। बता दें कि एक मामले में डा सुनीता गुप्ता तत्कालीन सीनियर डीएमओ उत्तर रेलवे एनआर मंडल अस्पताल चारबाग लखनऊ और उनके पति डा राजीव गुप्ता प्रोफेसर केजीएमयू लखनऊ धारा 109 आईपीसी पीसी अधिनियम 1988 की धारा 13 2 आर डब्ल्यू 13 1 ई में दर्ज किया गया है।
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि डा सुनीता गुप्ता तत्कालीन सीनियर डीएमओ उत्तर रेलवे मंडल अस्पताल चारबाग लखनऊ में थी। आय के ज्ञात स्रोतों में 1,80,96,585.33 रुपये की आय से अधिक संपत्ति का कब्जा जिसका वह संतोषजनक रूप से हिसाब नहीं दे सकी है। डा सुनीता गुप्ता के पति डा राजीव गुप्ता पर आरोप है की उन्होंने डा सुनीता गुप्ता द्वारा आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति के कब्जे के लिए उकसाया। घर की तलाशी के दौरान दो स्टील की अलमीरा मिली। जिन्हें ड्राइंग रूम में बड़े बड़े नोटों के साथ रखा गया था। आलमारी में कुल 1,59,00,000 रुपये मिले।
यह भी पढ़ें

Allahabad High Court : मृदा सर्वेक्षण अधिकारी मेरठ को नोटिस जारी,याचिका पर जवाब तलब

जिस पर अभियुक्त के अधिवक्ता ने कहा कि आवेदक को इस मामले में झूठा फंसाया गया है। उसके कब्जे से बरामद किया गया पैसा उसकी असली और मेहनत की कमाई है। आवेदक के वकील ने आगे विभिन्न डॉक्टरों के बयान पर भरोसा किया। जिनकी जांच के दौरान जांच अधिकारी द्वारा जांच की गई है। जिन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि आवेदक विभिन्न कैंसर रोगियों का निजी तौर पर इलाज करता था और पैसा उक्त निजी प्रैक्टिस का परिणाम है। इसके विपरीत सीबीआई के वकील ने इस आधार पर अग्रिम जमानत अर्जी का पुरजोर विरोध किया कि आरोपी समन पर अदालत में पेश नहीं हुआ है। वर्तमान आवेदन आवेदक के विरुद्ध जमानती वारंट जारी होने के बाद दाखिल किया गया है। अभियोजन की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है और चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की जा चुकी है।
सीबीआई के वकील ने कहा कि आवेदक एक रेडियो थेरेपिस्ट है और रेडियो थेरेपी के उक्त क्षेत्र में कभी भी कोई निजी प्रैक्टिस नहीं देखी जाती है।

Hindi News/ Prayagraj / Allahabad High Court: भ्रष्टाचार सिस्टम के लिए दीमक- न्यायमूर्ति कृष्ण पहल

ट्रेंडिंग वीडियो