मजिस्ट्रेट पर किराया नियंत्रण अधिनियम के तहत मुकदमे की आर्डर सीट में फेरबदल करने व किरायेदार को सुनवाई का मौका न देकर गलत वल्दियत वाले व्यक्ति के पक्ष में भवन खाली होने का आदेश पारित करने का आरोप है। इतना ही नहीं अपर नगर मजिस्ट्रेट ने व्यक्तिगत हलफनामा देकर कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की और पत्रावली से घपला उजागर होने के बाद नया हलफनामा दाखिल कर पिछले हलफनामों की अनदेखी कर गलती माफ करने की प्रार्थना की।
कोर्ट ने मो. नसीम बनाम रहमत शेर खां व अन्य केस में पारित 08 दिसम्बर 2017 के आदेश को रद्द कर दिया है और प्रकरण नये सिरे से याची किरायेदार को सुनकर निर्णीत करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने जिलाधिकारी को अन्य अधिकारी को मुकदमे की सुनवाई करने व तीन माह में निर्णीत कराने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी.केशरवानी ने हामिद अली उर्फ मुन्ना की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
मालूम हो कि मकान नंबर 339/05 श्रमिक बस्ती, जूही कला कानपुर नगर मोहम्मद लाला को आवंटित किया गया था। याची किरायेदार ने आपत्ति के लिए समय मांगा किन्तु समय न देकर वैकेन्सी घोषित कर दी गयी। जिसे चुनौती दी गयी थी। कोर्ट ने अपर सिटी मजिस्ट्रेट से जवाब मांगा कि किस कारण से उन्होंने किरायेदार को आपत्ति दाखिल करने व सुनवाई का मौका नहीं दिया। जो साक्ष्य दिये गये थे, उनकी सत्यता की परख की जानी चाहिए थी। मकान मालिक ने जो प्रमाण पत्र दिया था वह भिन्न व्यक्ति था। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के आदेश पर रोक लगा दी और मजिस्ट्रेट से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा। साथ ही मूल पत्रावली तलब की।
पत्रावली से 04 दिसम्बर 2017 को पारित आदेश में बदलाव किया गया था। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और कहा कि मजिस्ट्रेट के खिलाफ दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 340 में क्यों न मुकदमा कायम किया जाय। क्योंकि इन्होंने कदाचार किया है। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट को तलब किया। जब गला फंसता दिखाई दिया तो मजिस्ट्रेट कृष्ण पाल तोमर ने समर्पण करते हुए गलती की माफी मांगी और कहा कि भविष्य में ऐसी गलती नहीं करेंगे। मकान मालिक ने पेपर दाखिल किया, जिसमें मोहम्मद लाला पुत्र अब्दुल खालिद लिखा था। जबकि याची किरायेदार के पिता अब्दुल खालिक हैं। याची व शाहिद अली खां उनके दो बेटे हैं। अलग व्यक्तियों की वल्दियत पर मजिस्टेªट ने वैकेन्सी घोषित कर दी। 08 दिसम्बर 2017 के आदेश में 04 दिसम्बर 2017 के आदेश का जिक्र भी नहीं है और 04 दिसम्बर 17 के आदेश में जोड़ दिया गया कि याची किरायेदार को आपत्ति दाखिल करने का समय दिया जाता है। मुकदमे की आदेश सीट में फेरबदल को कोर्ट ने गंभीरता से लिया है।