अलसुबह हाउस अरेस्ट हुए उदय प्रताप सिंह
बड़ी संख्या में फोर्स के साथ एसडीएम और सीओ अलसुबह भदरी कोठी पहुंचते हैं और उदय प्रताप सिंह को नजरबंद कर लेते हैं। उदय प्रताप को तीन दिनों के लिए नजरबंद कर लिया जाता है। दरवाजे पर भारी संख्या में फोर्स लगाई गई है। ट्वीट कर जताया विरोध
गिरफ्तारी के बाद उदय प्रताप सिंह ने ट्वीट कर लिखा, ‘इसका समाधान प्रशासन ने निकाल लिया है जो मुसलमानों का विरोध करे उसको अरेस्ट कर लो, जैसे की हमको सुबह से किए हुए हैं। प्रशासन ने हिंदुओं का बहुत सालों से चलता आ रहा भंडारा शेखपुर में नई प्रथा बताकर बंद कर दिया, किंतु मझिलगांव में सड़क के आरपार मुसलमानों के नए सिरे से गेट लगाने पर रोक नहीं लगा रहे हैं। उसके नीचे से हिंदुओं को भी जाना पड़ता है।’
कैसे शुरू हुआ हाउस अरेस्ट का सिलसिला
घटना 2012 की है जब शेखपुर गांव में सड़क के किनारे एक बंदर की मौत हो गई थी। बताया ये जाता है कि बंदर को गोली मार दी गई थी। इसके बाद से ही वहां पर ग्रामीणों ने एक हनुमान मंदिर का बनवा दिया था। उस जगह पर हनुमान पाठ और भंडारे का आयोजन होने लगा। इन सभी कार्यक्रम का आयोजन राजा उदय प्रताप सिंह करवाया करते थे। खास बात ये है कि यह भंडारा मोहर्रम के दिन ही किया जाता है। शुरू में तो दो साल भंडारा और मोहर्रम दोनों का जुलूस साथ-साथ निकला। साल 2015 में मोहर्रम के मौके पर मुस्लिम समुदाय ने मंदिर पर भंडारे और झंडे का विरोध किया और अपनी ताजिया नहीं उठाई। मामला बढ़ता गया और प्रशासन तक बात पहुंच गई।
भारी विरोध के बाद डीएम ने लिया अनोखा फैसला
2016 में जिला प्रशासन ने राजा उदय प्रताप सिंह को भंडारे करने की अनुमति नहीं दी जिससे शेखपुर में तनाव और बढ़ गया। अब ये मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा तो कोर्ट ने डीएम को अपने विवेक से निर्णय के लिए के निर्देश दिए। अब इसी घटना के बाद से राजा उदय प्रताप सिंह को हर बार मोहर्रम के मौके पर हाउस अरेस्ट कर दिया जाता है। इसी सिलसिले में राजा भैया के पिता को इस बार भी हाउस अरेस्ट कर लिया गया है और किले के चारों ओर कई थानों की फोर्स लगाई गई है।