-आज जिला मुख्यालयों पर होगा शांति मार्च
प्रतापगढ़.
राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ ने लम्बित मांगों का निराकरण नही होने पर एक अक्टूबर से सामूहिक अवकाश पर जाने की घोषणा की है। वहीं 2 अक्टूबर को सभी जिला मुख्यालयों पर पशु चिकित्सा कर्मचारी शांति मार्च निकाल कर कलेक्ट्रेट कार्यालय पर संघ का ज्ञापन चस्पा करेंगे। इसके बावजूद भी राज्य सरकार ने शीघ्र निर्णय नही किया तो कर्मचारी अनिश्चित कालीन सामूहिक अवकाश पर जाने के लिए मजबूर होंगे। जिसकी समस्त जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।संघ के जिलाध्यक्ष आनन्द कुमार कटारा ने बताया कि पशु चिकित्सा कर्मियो की जायज मांगे वर्षो से लम्बित चल रही है। शासन तथा प्रशासन की सैद्धान्तिक सहमति होने के बावजूद भी मंत्रीमण्डलीय उप समिति (वेतन विसंगति निराकरण एवं कर्मचारी कल्याण) से संघ की 26 जून को सम्पन्न वार्ता मे सभी मांगो पर सहमति हुई तथा समिति की अनुशंषा के बावजूद मांगो पर क्रियान्विति नही होने से प्रदेश एवं जिले के पशु चिकित्सा कर्मचारियों में आक्रोश है। राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ पशुधन सहायक का आरम्भिक वेतनमान व भत्ते चिकित्सा विभाग मे कार्यरत मेल नर्स ग्रेड द्वितीय के समान किये जाने, पदनाम परिवर्तन, पशु चिकित्सा सहायको को हार्ड ड्युटी भत्ता, वेटेनरी नर्सिंग काउंसिल का गठन, पशुधन सहायक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की अवधि 2 वर्ष से बढाकर 3 वर्ष किए जाने तथा डिप्लोमा का नाम पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन किये जाने सहित अन्य मांगो के लिए संघर्षरत है। संघ के जरिए पिछले तीन वर्र्षो से ज्ञापन धरना, रैली आदि के माध्यम से सरकार का ध्यान आकृष्ट करवाने का भरसक प्रयास किया है लेकिन सरकार संवेंदनहीन बनी हुई है तथा संघ की मांगो का जानबूझकर निराकरण नही कर रही है। राज्य सरकार को समान काम समान वेतन के सिद्धान्त के आधार पर पशुधन सहायक का आरम्भिक वेतनमान मेल नर्स के बरामर करना चाहिए। इसकी शासन द्वारा स्वीकृति प्राप्त है। कटारा ने बताया कि राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ के सामूहिक अवकाश पर जाने से प्रदेश एवं जिले मेे चल रहा खुरपका मुंहपका टीकाकरण कार्यक्रम बंद हो जाएगा एवं एक अक्टूबर से प्रस्तावित 20वीं पशुगणना का आरम्भ ही नही हो पाएगा। राजस्थान कृषि प्रधान प्रदेष है एवं पशुपालन व्यवसाय कृषि का पूरक है सरकार की कर्मचारी विराधी नीतियो के कारण प्रदेश के मूक पशु उपचार से वंिचत हो जाएंगे। वहीं पशुपालन विभाग के अधीन संचालित पशु चिकित्सा संस्थाए सीधे तौर पर प्रभावित होगी। पशु पालन विभाग की 80 प्रतिशत योजनाएं ग्रामीण क्षैत्र के पशुपालको के हितार्थ है लेकिन राज्य सरकार अपनी नीतियो के कारण कर्मचारियों को सडक पर आने के लिये मजबूर कर रही है। जिससे ग्रामीण क्षैत्र की पशुपालन व्यवसाय की गतिविधियां ठप्प हो जाएगी। इसका सीधा प्रभाव प्रदेश के विकास पर पडेगा।