समर्पण से की ब्लॉग की शुरुआत
आडवाणी ने ब्लॉग की शुरुआत समर्पण से की है। उन्होंने लिखा, भाजपा में हम सभी के लिए यह महत्वपूर्ण अवसर है कि हम पीछे देखें, आगे देखें और भीतर देखें। भाजपा के संस्थापकों में से एक के रूप में मैंने भारत के लोगों के साथ अपने अनुभवों को साझा करना अपना कर्तव्य समझा है। खासतौर पर मेरी पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं के साथ। दोनों ने मुझे बहुत स्नेह और सम्मान दिया है। लालकृष्ण आडवाणी ने लगभग पांच साल बाद लिखे ब्लॉग में कई अहम मुद्दों का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा, ‘भारतीय राष्ट्रवाद की अवधारणा में जो लोग राजनीतिक रूप से हमसे सहमति नहीं रखते, हमने उन्हें कभी देश-विरोधी करार नहीं दिया।
‘नेशन फर्स्ट,सेल्फ लास्ट’
आडवाणी ने लिखा है कि ‘पार्टी हमेशा से व्यक्तिगत और राजनीतिक स्तर पर प्रत्येक नागरिक की पसंद की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध रही है। ‘नेशन फर्स्ट, पार्टी सेकंड, सेल्फ लास्ट’ शीर्षक वाले इस ब्लॉग में आडवाणी ने मौजूदा बीजेपी के तौर-तरीके पर सवाल उठाए। उन्होंने यह भी लिखा कि- ‘जो लोग हमसे राजनीतिक तौर पर असहमत होते हैं, शुरुआत से ही भाजपा ने कभी उन्हें दुश्मन नहीं माना है, पार्टी ने उन्हें सिर्फ अपने विरोधी के रूप में ही माना है।
टिकट कटने का मलाल? वहीं आगामी लोकसभा चुनावों में गांधीनगर सीट से टिकट कटने की टीस भी इस ब्लॉग में देखने को मिली। लालकृष्ण आडवाणी ने ब्लॉग में लिखा, ‘मैं गांधीनगर के लोगों के लिए आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने 1991 के बाद छह बार मुझे लोकसभा के लिए चुना। इसके लिए उनके स्नेह और समर्थन का मैं अभिभूत हूं।’
सात दशकों से पार्टी के साथ अपने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा, ’14 साल की उम्र में जब मैं
RSS में शामिल हुआ, तब से मातृभूमि की सेवा करना मेरा जुनून और मेरा मिशन है। मेरा राजनीतिक जीवन लगभग सात दशकों से पार्टी के साथ अविभाज्य रूप से जुड़ा रहा है। पहले भारतीय जनसंघ के साथ और बाद में भारतीय जनता पार्टी। अपनी प्रेरणा के बारे में जिक्र करते हुए कहा, ‘मेरा दुर्लभ सौभाग्य रहा है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और कई अन्य महान, प्रेरणादायक और दिग्गजों के साथ मिलकर काम करने का मौका मिला।’
चुनाव लोकतंत्र का त्योहार अपने ब्लॉग में आडवाणी ने आगे लिखा है कि यह मेरी दिल से इच्छा है कि हम सभी को सामूहिक रूप से भारत के लोकतंत्र को मजबूती देने का प्रयास करना चाहिए। आडवाणी ने चुनाव को लोकतंत्र का त्योहार बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि चुनाव भारतीय लोकतंत्र में सभी हितधारकों – राजनीतिक दलों, जनसंचार माध्यमों, चुनाव प्रक्रिया का संचालन करने वाले अधिकारियों और सबसे ऊपर, मतदाताओं के लिए ईमानदार आत्मनिरीक्षण के लिए एक अवसर के जैसा है।