सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सीएम तीरथ सिंह रावत ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश की है। पत्र में रावत ने अपने इस्तीफे की पेशकश को लेकर राज्य में संवैधानिक संकट पैदा होना मुख्य वजह बताया है।
गवर्नर से मांगा मिलने का वक्त
मुख्यमंत्री तीरथ रावत ने इस्तीफे की औपचारिकता पूरी करने के लिए उत्तराखंड के राज्यपाल से मिलने के लिए समय मांगा है। बताया जा रहा है कि वक्त मिलते ही तीरथ सिंह रावत गवर्नर हाउस पहुंचकर आधिकारिक तौर पर गवर्नर को अपना इस्तीफा सौंप देंगे। इधर, कल (शनिवार) भाजपा के विधायक दल की बैठक बुलाई गई है।
उत्तराखंड में सियासी संकट गहराया, सीएम तीरथ सिंह ने की इस्तीफे की पेशकश, राज्यपाल से मांगा मिलने का वक्त
भाजपा विधायक दल की बैठक कल
उत्तराखंड में उपजे सियासी संकट के बीच कल (शनिवार) भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। बैठक दोपहर 3 बजे होगी। सभी बीजेपी विधायकों को सुबह 11 बजे तक देहरादून पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं। पर्यवेक्षकों के तौर पर केंद्र मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर देहरादून जाएंगे। वहीं, आज (शुक्रवार) दिल्ली में राष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात के बाद वापस देहरादून पहुंचे सीएम तीरथ रावत जॉलीग्रांट एयरपोर्ट पर लैंड करने के बाद सीधा राजभवन पहुंच गए हैं।
अगले सीएम के लिए इन दो नामों पर हो रही है चर्चा
अब सीएम तीरथ सिंह के इस्तीफे की पेशकश के बाद उत्तराखंड का अगला सीएम कौन होगा इसको लेकर चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। हालांकि 2-3 नामों को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। इनमें नए मुख्यमंत्री के तौर पर सतपाल सिंह महाराज और धनसिंह रावत का नाम सबसे आगे है। इसके अलावा, बंशीदार भगत, हरक सिंह रावत का नाम भी चर्चा में है। माना जा रहा है कि कुमाऊं क्षेत्र के बिशन चौपाल और पुष्कर सिंह धामी जैसे नेता भी सीएम की रेस में हो सकते हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक गढ़वाल क्षेत्र से हैं, जिन्हें भी एक विकल्प के तौर पर पेश किया जा सकता है।
चूंकि उत्तराखंड में उपजे सियासी संकट के बीच बीजेपी आलाकमान ने सीएम तीरथ सिंह के अलावा सतपाल सिंह और धन सिंह को भी दिल्ली बुलाया गया। सतपाल महाराज राज्य के बड़े नेताओं में शुमार किए जाते हैं जबकि धनसिंह का नाम पिछली बार भी चर्चा में आया था लेकिन तीरथ सिंह रावत से पिछड़ गए थे।
इस साल मार्च में सीएम बने थे तीरथ रावत
मालूम हो कि तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के पौड़ी से लोकसभा सांसद हैं। उन्होंने इस साल 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था। 10 सितंबर तक विधानसभा सदस्य निर्वाचित होना रावत के लिए एक संवैधानिक बाध्यता है।
जेपी नड्डा को लिखे अपने पत्र में तीरथ सिंह ने कहा है कि आर्टिकल 164-ए के तहत मुख्यमंत्री बनने के बाद छ महीने में विधानसभा का सदस्य बनना था, लेकिन दूसरी तरफ आर्टिकल 151 के मुताबिक, यदि विधानसभा चुनाव में एक वर्ष से कम का समय बचता है तो वहां पर उप-चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। लिहाजा, उतराखंड में संवैधानिक संकट न खड़ा हो, इसलिए मैं मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना चाहता हूं।
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उत्तराखंड में फिलहाल विधानसभा की दो सीटें, गंगोत्री और हल्द्वानी रिक्त हैं जहां उपचुनाव कराया जाना है। चूंकि राज्य में अगले ही साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में अब ये संभावना कम है कि इन दोनों सीटों पर उपचुनाव होंगे। हालांकि उपचुनाव कराए जाने का फैसला चुनाव आयोग के विवेक पर निर्भर करता है। यदि वे चाहें तो करा सकते हैं।