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तेजस्वी ने भी माना लालू के समय बिहार में था जंगलराज, अब लोगों से इसलिए मांगी माफी

15 साल में जो गलतियों हुई उसके लिए मुझे अफसोस है।
माफी के जरिए जातीय समीकरण ( Ethnic equation ) साधना चाह रहे हैं तेजस्वी।
2010 के चुनाव में लालू यादव ( Lalu Yadav ) को जनता ने माफ नहीं किया था।

Jul 03, 2020 / 02:46 pm

Dhirendra

Tejashwi Yadav

बिहार की जनता ने अभी तक लालू यादव को माफ नहीं किया।

नई दिल्ली। बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव ( Bihar Assembly Election ) है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सियासी जोड़तोड़ चरम पर है। इस बीच चुनावी समीरकण को अपने पक्ष में करने के लिए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ( Tejashwi Yadav ) ने प्रदेश की जनता से अपने पिता और माता की गलतियों के लिए माफी मांगी ( Apologized ) है। उन्होंने बिहार में चुनावी राजनीति गरमाने से पहले माफी मांगकर पार्टी की ओर से सियासी चाल भी चल दी है।
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने लालू-राबड़ी राज ( Lalu-Rabri Raj ) में हुई गलतियों के लिए बिहार की जनता से माफी मांगी है। ऐसा कर उन्होंने उस दौर की राजनीतिक हालात से खुद को अलग करने की कोशिश की है। इसे तेजस्वी का चुनाव में जातीय समीकरण ( Ethnic equation ) पार्टी के पक्ष करने के लिए एक राजनीतिक चाल के रूप में देखा जा रहा है।
बिहार में सियासी हलचल तेज

लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव ( Lalu Yadav’s son Tejashwi Yadav’s ) के ताजा बयान से बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। पटना के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव ( RJD Chief Lalu Prasad Yadav ) के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने अपने पिता और मां के 15 साल के शासन में हुई गलतियों के लिए माफी क्यों मांगी है।
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तेजस्वी ने क्या कहा

आरजेडी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि ठीक है 15 साल हम लोग सत्ता में रहे, पर हम सरकार में नहीं थे, हम छोटे थे। फिर भी हमारी सरकार रही। इससे कोई इनकार नहीं कर सकता। लालू प्रसाद यादव के राज में सामाजिक न्याय ( Social Justice ) नहीं हुआ। 15 साल में हमसे कोई भूल हुई थी तो हम उसके लिए माफी मांगे हैं।
जातीय समीकरण साधने की कोशिश

दरअसल, आरजेडी मुस्लिम और यादव वोट बैंक ( MY Vote Bank ) के दम पर बिहार में 15 साल सरकार में रही। जबकि यह बात पूरी तरह सही नहीं है। इसे समझने के लिए बिहार के 1990 के दौर की राजनीति को याद करना होगा। उस दौर में लालू प्रसाद यादव सामाजिक न्याय की बात करते थे, जिसे तेजस्वी यादव ने दोहराया है। लालू के सामाजिक न्याय में केवल मुस्लिम और यादव ही शामिल नहीं थे, बल्कि दलित भी शामिल थे।
लालू यादव अक्सर अपनी रैलियों में कहते थे – ब्राह्मण खाए हलुआ और हरिजन खाए अलुआ, ई बर्दाश्त करे ललुआ। लालू यादव के इस एक नारे में इतना दम था कि दलित मतदाताओं ने उनका साथ दिया। वे अक्सर गरीब-गुरबा जैसे शब्द प्रयोग करते रहे। इस शब्द के जरिए भी वे दलितों को ही संबोधित करते हैं।
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फॉरवर्ड वोट हाथ से फिसल गई

मुस्लिम, यादव और दलित वोट बैंक बनाने के फेर में फॉरवर्ड वोट गंवा बैठी लालू फैमिली। 1995 के विधानसभा चुनाव तक बिहार के राजपूत और भूमिहार वोटरों की अच्छी खासी आबादी लालू प्रसाद यादव के साथ थी। रघुवंश प्रसाद, प्रभुनाथ सिंह, जगदानंद सिंह सरीखे नेताओं की पार्टी में अच्छी पूछ रही। ये लोग लालू यादव के साथ रैलियों में मंच साझा करते।
लेकिन 1995 के चुनाव में सरकार बनने के बाद लालू यादव ने फॉरवर्ड जाति के वोटरों से किनारा करना शुरू कर दिया। उनका फोकस मुस्लिम, यादव और दलित रह गया। इसी वजह से उन्होंने ‘भूरा बाल साफ करो’ ( भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, लाला ) जैसा नारा दिया।
जब जनता ने लालू की सोच को साबित कर दिया गलत

संभवत: सत्ता में आने के बाद लालू यादव यह सोचने लगे थे कि सामाजिक न्याय का उनका फॉर्म्यूला अजेय है। मुस्लिम-यादव-दलित ( Muslim-Yadav-Dalit ) का कॉम्बिनेशन उन्हें हमेशा सत्ता में बनाए रखेगा। लेकिन उनकी इसी सोच को बिहार की जनता ने गलत साबित कर दिया।
धीरे-धीरे फॉरवर्ड वोटर ( Forward Voters ) पूरी तरह लालू फैमिली से कट गई। यही गलती लालू फैमिली 2019 के लोकसभा चुनाव तक दोहराती रही। 2019 के लोकसभा चुनाव में लालू फैमिली ने सवर्णों को मिले 10 फीसदी आरक्षण का विरोध किया जिसका खामियाजा यह हुआ कि रघुवंश प्रसाद, जगदानंद सरीखे नेताओं की भी हार हुई।
छवि सुधारना चाहते हैं तेजस्वी

बिहार में इस समय जेडीयू, बीजेपी और आरजेडी मुख्य सियासी ताकते हैं। इसमें से जेडीयू और बीजेपी एक साथ है। साथ ही इन दोनों पार्टियों का जनता से संवाद का एक ही तरीका है। दोनों ही पार्टियां जनता को हमेशा याद दिलाती रहती हैं कि लालू-राबड़ी के राज में राज्य की कानून-व्यवस्था का क्या हाल था।
बिहार के युवा वोटर भी अपने परिजनों से लालू-राबड़ी राज की गुंडागर्दी के इतने किस्से सुन रखे हैं कि आरजेडी नेताओं के किसी भी बात पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं। 2010 के विधानसभा चुनाव में लालू यादव और रामविलास पासवान साथ मिलकर लड़े थे। उस दौरान भी लालू यादव ने कई रैलियों में बतौर रेलमंत्री उनके द्वारा किए गए कामों का गुणगान करते और कहते कि अगर बिहार की सत्ता में आए तो पुरानी गलतियों को नहीं दोहराएंगे।
लालू को अभी तक जनता ने माफ नहीं किया

दस साल पहले लालू को बिहार की जनता ने माफ नहीं किया था। लालू और रामविलास पासवान की जोड़ी 25 सीटों पर सिमटकर रह गई थी।
2020 के विधानसभा चुनाव ( Assembly Election 2020 ) में भी काफी कुछ 2010 जैसे ही हालात हैं। बीजेपी और जेडीयू के साथ रामविलास पासवान की एलजेपी भी है। दूसरी तरफ लालू की पार्टी जनाधार खो चुकी कांग्रेस को साथ लिए हुए है। एनडीए खेमा की ओर से लगाए जाने वाले आरोपों से तेजस्वी यादव खुद को अलग करना चाहते हैं। क्योंकि दो चुनावों कें सीधे भागीदारी के बाद वह समझ चुके हैं कि आरजेडी की छवि जब तक नहीं सुधरेगी तब सत्ता उनसे दूर ही रहेगी। इस बात को ध्यान में रखकरही उन्होंने बिहार की जनता से अपने पिता लालू यादव और मां राबड़ी देवी की गलतियों के लिए माफी मांगी है। ताकि सवर्ण मतदाता ( Forward Voters ) भी पार्टी से जुड़ सकें।

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