तो, बिहार में इसलिए लगा शराब पर बैन
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार के किसी भी होटल और बार में अब शराब नहीं परोसी जाएगी और न ही किसी को इसका लाइसेंस दिया जाएगा
पटना। बिहार में शराब पर पूरी तरह पाबंदी लग गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य में पूर्ण शराबबंदी के फैसले के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। राज्य में अब कहीं भी कानूनी रूप से शराब का सेवन नहीं किया जा सकेगा। बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में तत्काल प्रभाव से सभी तरह की शराब की खरीद और बिक्री व उपभोग पर पाबंदी लगा दी गई है। इधर, सरकार के इस फैसले का सभी राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है।
नीतीश द्वारा उठाए गया एतिहासिक कदम है क्योंकि चुनाव के वक्त उन्होंने पूर्ण शराबबंदी की घोषणा की थी। नीतीश को बिहार में विकास पुरूष की नजर से देखा जाता है। यही वजह है कि इस बार लोगों ने भारी संख्या में उनके नेतृत्व में विश्वास जताते हुए उन्हें फिर से सत्ता सौंपी। इसमें महिलाओं का भी अहम योगदान रहा।
नीतीश के कुछ फैसले रहे जिनके चलते महिलाओं के बीच उनकी छवी अलग बनी। यह फैसले, जिसके चलते महिलाओं ने उन्हें चुनाव में काफी मत दिए।
1. सुरक्षा के साथ साइकिल
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में नीतीश की पार्टी जदयू को जितने वोट मिले, उनमें पुरुषों के मुकाबले महिला मतों की संख्या ज्यादा थी। 2010 के चुनाव में भी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने नीतीश को वोट दिया था। 2005 में जब नीतीश ने बिहार की कमान संभाली, उस वक्त प्रदेश की कानून-व्यवस्था काफी खराब थी। इसमें भी महिला की सुरक्षा भी चिंता का विषय थी। नीतीश ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए महिलाओं की सुरक्षा पुख्ता की, इसके बाद स्कूल जाने वाली लड़कियों को पढऩे जाने के लिए कोई दिक्कत नहीं हो, उन्हें साइकिलें बांटी गई। यही नहीं, प्रदेश के सभी जिलों में महिला थानों की स्थापना की गई।
2. नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण
पिछले साल चुनाव प्रचार में नीतीश ने महिलाओं को ध्यान में रखते हुए कहा था कि वह आगे भी उनका ध्यान रखेंगे। चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने के बाद नीतीश ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण के प्रस्ताव को
कैबिनेट से मंजूरी दिला कर अपने एक और वादे को पूरा किया।
3. शराब पर पाबंदी
चुनाव प्रचार के दौरान नीतीश और उनकी पार्टी ने शराब पर पूर्ण पाबंदी लगाने का वादा किया था। हालांकि, इसे लागू करना इतना आसान नहीं था क्योंकि इससे प्रदेश सरकार के खजाने पर सीधे तौर पर असर पढ़ता। घाटे की भरपाई के लिए सरकार के पास कोई और रास्ता नहीं होने के बावजूद मुख्यमंत्री प्रदेश में शराबबंदी लागू करने में सफल रहे।
बिहार में पूर्ण शराबबंदी नीतीश कुमार का चुनावी वादा था। इस फैसले के बाद, अब बिहार में किसी भी तरह की शराब की बिक्री पूर्णत: बंद हो जाएगी। इसी के साथ गुजरात, नागालैंड और मणिपुर के बाद बिहार पूर्ण शराबबंदी वाला चौथा राज्य
बन गया है। मुख्यमंत्री ने पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, बिहार में देसी शराबबंदी के उत्साहजनक परिणाम को देखते हुए अब तत्काल प्रभाव से विदेशी शराब के भी थोक एवं खुदरा व्यापार और उसके उपभोग को प्रतिबंधित कर दिया
गया है। गौरतलब है कि देसी और मसालेदार शराब की खरीद और बिक्री पर एक अप्रैल से ही पाबंदी लगा दी गई है। नीतीश ने शराबबंदी के फैसले के लिए महिलाओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके प्रयासों के कारण ही आज राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू हो सकी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में हमने नई शराब नीति बनाई गई है और लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार के किसी भी होटल और बार में अब शराब नहीं परोसी जाएगी और न ही किसी को इसका लाइसेंस दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनसमर्थन की वजह से सरकार ने तत्काल प्रभाव से विदेशी शराब की दुकानों को बंद करने का फैसला किया है। इसके साथ ही सरकार ने उन सभी दुकानों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं, जिसमें बेवरिज कर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा नगर निगम और नगर परिषद क्षेत्र में विदेशी शराब बेची जानी थी।
शराबबंदी को सफल बनाने के लिए उत्पाद संशोधन विधेयक में सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। जहरीली शराब बनाने वालों को मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है, जबकि शराब पीकर कोई विकलांग हुआ तो शराब बनाने वाले को आज्ाीवन कारावास की सजा दी जाएगी।
शराब पीकर घर में हंगामा करने वाले को 10 साल की सजा और सार्वजनिक जगहों पर हंगामा करने पर न्यूनतम पांच साल की सजा का प्रावधान किया गया है। बिहार में शराबबंदी को लेकर जनजागरण अभियान के तहत अब तक 1$17 करोड़ से ज्यादा स्कूली बच्चों के अभिभावकों से शराब नहीं पीने का शपथपत्र भरवाया गया है तथा सात लाख से ज्यादा दीवारों पर नारे लिखे गए हैं।
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