हालांकि इसके लिए पार्टी ने जिस तीन सदस्यों वाली समिति के गठन की घोषणा की थी, वह भी अब तक गठित नहीं हो सकी है।
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दोनों ही कद्दावर नेता
कांग्रेस ने राजस्थान ( Rajasthan Congress ) में अपनी सरकार बचाने में फिलहाल कामयाबी तो हासिल कर ली है, लेकिन पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि दोनों ही कद्दावर हैं। सचिन पायलट को ना सिर्फ उप मुख्यमंत्री बल्कि प्रदेश अध्यक्ष पद से भी हटाया जा चुका है। इसी तरह उनके गुट के दो मंत्रियों को भी हटा दिया गया था। यहां तक कि राज्य में संगठन में भी सभी पदों से उनके लोगों को हटा दिया गया था। उधर, गहलोत गुट का भी कहना है कि सरकार गिराने की इतनी बड़ी कोशिश करने के बाद उन्हें वापस तुरंत किसी बड़े पद पर लेना ठीक नहीं होगा। दोनों ही पक्ष इसमें अपने सम्मान को जोड़ रहे हैं।
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समिति करेगी दोनों ही पक्षों की सुनवाई
ये बताते हैं कि राजस्थान में मौजूद हाईकमान के दूतों से गहलोत गुट के विधायकों की ओर से भी नाराजगी जताए जाने के बाद पार्टी ने भरोसा दिया है कि तीन सदस्यों वाली समिति इनकी शिकायतों की भी सुनवाई करेगी। उसके बाद ही कोई फैसला करेगी।
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फार्मूले से पहले करना होगा राजी
ये बताते हैं कि समिति के फार्मूले या फैसले असर तभी हो सकेगा जब इसके लिए दोनों नेताओं को पहले निजी स्तर पर तैयार कर लिया जाए। यह काम पार्टी हाईकमान ही कर सकती है। गहलोत को जहां सोनिया गांधी का विश्वासपात्र माना जाता है, वहीं पायलट राहुल के करीबी रहे हैं। प्रियंका गांधी ने भी पायलट की पार्टी में वापसी में अहम भूमिका निभाई है। समिति में भी ऐसे लोगों को रखने की तैयारी है जिन पर दोनों गुटों का विश्वास हो।