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महबूबा ने केंद्र पर साधा निशाना, अमित शाह कर रहे हैं कश्‍मीर को बांटने की हिमाकत

जम्मू-कश्मीर के जज्बाती बंटवारे की कोशिश न करे केंद्र सरकार
पूर्व मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अमित शाह को निशाने पर लिया
मोदी सरकार पुराने जख्मों को भरने के बजाय कुरेदने में लगी है

Jun 05, 2019 / 11:35 am

Dhirendra

mehbooba
नई दिल्‍ली। जम्मू-कश्मीर पहले से ही कलह से प्रभावित प्रदेश है। अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन दोबारा कराने का संकेत देने से घाटी में अचानक तनाव चरम पर पहुंच गया है। मोदी सरकार के इस रुख पर जम्मू-कश्‍मीर की पूर्व मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अमित शाह पर निशाना साधा है। उन्‍होंने केंद्र के इस रुख के खिलाफ आक्रामक रवैया अख्तियार करते हुए कहा है कि मोदी सरकार पुराने जख्मों को भरने के बजाय जम्‍मू-कश्मीर का एक और जज्बाती बंटवारा करने पर उतारू है।
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kashmir valley
विभाजन के दर्द को हरा न करे केंद्र सरकार

महबूबा ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रया देते हुए हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का नक्शा फिर से खींचने की योजना के बारे में सुनकर परेशान हूं। जबरन सरहदबंदी साफ तौर पर सांप्रदायिक नजरिए से सूबे का एक और जज्बाती बंटवारे की कोशिश है। ऐसा कर केंद्र सरकार विभाजन के दर्द को हरा करना चाहती है।
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पाकिस्‍तान को बताया पक्ष

दो दिन पहले पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर मुद्दे में पाकिस्तान को भी एक पक्ष बताया था। उन्‍होंने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए पड़ोसी देश को भी शामिल करने की वकालत की थी। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर समस्या के त्वरित हल के लिए बर्बर बल का सहारा लेने का आरोप लगाया है। मुफ्ती का कहना है कि केंद्र का यह कदम समझ से परे है।
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gautam gambhir
इतिहास गवाह है

दो दिन पहले महबूबा द्वारा पाकिस्‍तान को कश्‍मीर समस्‍या का एक पक्ष और शाह की पहल को बर्बर बल का प्रयोग बताने पर पूर्वी दिल्‍ली से सांसद व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को निशाना बनाया था। नव निर्वाचित सांसद गौतम गंभीर ने ट्वीट कर कहा था कि हम सभी कश्मीर समस्या के समाधान के लिए बात कर रहे हैं, लेकिन महबूबा मुफ्ती के लिए अमित शाह की प्रक्रिया को क्रूर कहना हास्यास्पद है।
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इतिहास हमारे धैर्य और धीरज का गवाह रहा है। लेकिन अगर उत्पीड़न मेरे लोगों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करता है, तो ऐसा ही होना चाहिए। इससे पहले महबूबा मुफ्ती ने अपने ट्वीट में लिखा था कि 1947 से विभिन्न सरकारें कश्मीर को सुरक्षा के नजरिए से देखती रही हैं। यह एक राजनीतिक समस्या है और पाकिस्तान सहित सभी पक्षों को शामिल करते हुए इसके राजनीतिक हल की जरूरत है।
Sushma-Mehbooba
मेहबूबा ने की सुषमा की तारीफ

चार दिन पहले महबूबा मुफ्ती ने पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को लेकर एक ट्वीट किया था। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि सुषमा जी ने हर घटना पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया देकर हमेशा ही अपने मंत्रालय के माध्यम से मानवता की सेवा की है। उनकी कमी हमेशा ही महसूस होगी।
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demarcation
क्‍या है परिसीमन विवाद

दरअसल, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दमखम दिखाते हुए जम्मू-कश्मीर में लंबित चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन दोबारा कराने का संकेत दिया था। इस योजना के तहत परिसीमन आयोग का गठन कर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन कराना शामिल है। परिसीमन के तहत विधानसभा क्षेत्रों का दोबारा स्वरूप और आकार तय किया जा सकता है। साथ ही अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटें तय की जा सकती हैं।
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क्‍या है मकसद

इसका मुख्य मकसद जम्मू-कश्मीर प्रांत में काफी समय से व्याप्त क्षेत्रीय असमानता को दूर करना है। प्रदेश विधानसभा में सभी आरक्षित वर्गो को प्रतिनिधित्व प्रदान करना है। एक और वर्ग का मानना है कि कश्मीर घाटी में कोई अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति नहीं है। जबकि गुर्जर, बकरवाल, गड्डी और सिप्पी को 1991 में अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया था। प्रदेश की आबादी में इनका 11 फीसदी योगदान है लेकिन कोई राजनीतिक आरक्षण नहीं है।
बता दें कि प्रदेश में 18 दिसंबर, 2018 से राष्ट्रपति शासन लागू है। संभावना है कि तीन जुलाई के बाद राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाई जा सकती है। सुरक्षा बल इलाके से आतंकियों का सफाया करने में जुटा है। इस साल अब तक 100 आतंकियों को ढेर किया जा चुका है।

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