इससे पहले इस बाबत भाजपा और शिवसेना व्हिप जारी करते हुए सदन के अपने सभी सदस्यों को उपस्थित रहने को कहा था। बुधवार को महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा था कि मराठा समुदाय के आरक्षण के लिए बिल को पास करने के लिए अगर जरूरत हुई तो महाराष्ट्र विधानमंडल के सत्र को बढ़ाया जा सकता है। बता दें कि इससे पहले इसी महीने की 18 नवंबर को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार ने घोषणा करते हुए कहा था कि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय शैक्षणिक और समाजिक रूप से पिछड़े हुए हैं, इसलिए सरकार इस वर्ग को ‘स्पेशल कैटेगरी फॉर बैकवर्ड क्लासेज’ (एससीबीसी) के तहत आरक्षण देगी।
पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों के बाद सरकार ने लिया फैसला
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा इससे पहले कहा था कि पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट में 3 सिफारिशें की है। जिसमें एसईबीसी में मराठा समुदाय को स्वतंत्र आरक्षण दिए जाने संबंधि बात कही गई है। सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों के बाद ही यह फैसला लिया है। इसे लागू करने के लिए कैबिनेट उप-समिति गठित की है। उन्होंने आगे कहा था कि संविधान में स्पष्ट नियम है कि 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता है इसलिए महाराष्ट्र सरकार ने ‘स्पेशल कैटेगरी फॉर बैकवर्ड क्लासेज’ के प्रवाधान के तहत आरक्षण देने की घोषणा की है। बता दें कि सरकार ने बीते वर्ष जून 2017 में मराठा आरक्षण का मामला पिछड़ा वर्ग आयोग को सौंप दिया था। अब पिछड़ा वर्ग आयोग ने कहा है कि राज्य में मराठा समुदाय की समाजिक और शैक्षिक स्थिति ठीक नहीं है। साथ ही आर्थिक स्थिति भी बिगड़ी हुई है। इसी संबंध में आयोग ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के पक्ष में सुझाव दिया है।
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2014 में विधानसभा में पास किया गया था बिल
आपको बता दें 2014 में विधानसभा में मराठाओं को आरक्षण देने संबंधि बिल को पास किया गया था। इससे पहले मराठाओं ने 16 फीसदी आरक्षण देने की मांग की थी। यदि सरकार इसे मान लेती है तो आरक्षण की सीमा वर्तमान की 52 प्रतिशत से बढ़कर 68 प्रतिशत हो जाएगी जो कि कानून के विरुद्ध है। इसलिए सरकार ने ऐलान किया है कि मराठाओं को ‘स्पेशल कैटेगरी फॉर बैकवर्ड क्लासेज’ (एससीबीसी) के तहत आरक्षण दिया जाएगा। बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने उस बिल पर रोक लगा दी थी, जिसपर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है।