इसके पीछे राज्य सरकारों के काम जिम्मेदार हैं या फिर केंद्र में बैठी बीजेपी नीत सरकार ये यक्ष प्रश्न सबके सामने खड़ा है।
पिछले दो साल में जितने भी चुनाव हुए हैं उनमें ये सातवां राज्य हैं जहां बीजेपी प्लस यानी एनडीए ने सत्ता गवां दी है।
ये थी 2017 की सूरत
दिसंबर 2017 में देश के लगभग 72 फीसद आबादी और 75 फीसद भूभाग वाले 19 राज्यों में एनडीए या बपीजेपी की सरकार थी। झारखंड में हारने के बाद एनडीए की सरकार देश के 42 फीसदी आबादी पर ही बचेगी। मौजूदा समय में 16 राज्यों में एनडीए के हाथ में सत्ता की चाबी है।
बीजेपी के हाथ से खिसके ये राज्य
देश से सिमटते भगवा की बात करें तो बीजेपी के हाथ से जब मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के छूटते ही मानो अन्य राज्यों में भी हार की झड़ी लगी।
मार्च 2018 से पहले आंध्र प्रदेश में भी बीजेपी-टीडीपी गठबंधन की सरकार थी। लेकिन, स्पेशल स्टेटस को लेकर हुए विवाद के बाद बीजेपी से गठबंधन टूटा। 2019 में भी बुरा रहा नतीजा
इसके बाद 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां वाईएसआर कांग्रेस ने सरकार बनाई और जगनमोहन रेड्डी सीएम बनें।
इसके बाद महाराष्ट्र में परिणाम तो बीजेपी के समर्थन में आया लेकिन सत्ता तक पहुंचने की ख्वाहिश अधूरी रह गई। शिवसेना ने बगावत करने के बाद एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाई। जम्मू-कश्मीर में भी पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली बीजेपी ने जून 2018 में गठबंधन से नाता तोड़ लिया था। जिसके बाद राज्य में पहले राज्यपाल शासन और बाद में राष्ट्रपति शासन लगाया गया। अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाट दिया गया है। इनमें से जम्मू-कश्मीर में विधानसभा है जहां चुनाव होना बाकी है। लद्दाख में विधानसभा नहीं है।
पूर्वोत्तर से हुई भरपाई
एक तरफ पूर्वोत्तर में बीजेपी ने भगवा फहराकर नए संकेत दिए तो दूसरी तरफ बीजेपी के हाथ से अपने ही गढ़ छूट गए। हालांकि कर्नाटक, मिजोरम, त्रिपुरा और मेघालय ने बीजेपी की हार के अंतर को कुछ कम जरूर किया है।
अब नजर दिल्ली-बिहार पर
झारखंड के नतीजों के बाद सबकी नजर बिहार के चुनाव जा टिकी है। जहां भी नीतीश कुमार पहले ही महागठबंधन छोड़ बीजेपी के साथ आ गए हैं। यहां पर 2020 में चुनाव होना है। इसके साथ ही बीजेपी की असली परीक्षा दिल्ली में भी होना है।
जहां काम के नाम पर केजरीवाल सरकार दोबारा सत्ता तक पहुंचने की तैयारी कर रही है तो बीजेपी यहां पर विकास को ही मुद्दा बनाकर अपना दांव चल रही है। 2020 की शुरुआत में यहां भी चुनाव होगा जो तय करेगा भगवा को लेकर जनमानस क्या सोच रहा है?