ये हैं वो पांच स्टार्टअप…
देश में रक्षा तकनीक से जुड़े 194 स्टार्टअप काम कर रहे हैं। इनमें टोंबो इमेजिंग, आइडियाफोर्ज, आइरोव, सीएम एनवायरोसिस्टम्स और विज एक्सपर्ट ऐसे स्टार्टअप हैं, जो सेना को रक्षा उपकरण मुहैया करवा रहे हैं।
ये उपकरण दे रहे ताकत…
1- मोबाइल ऑटोनॉमस रोबोटिक सिस्टम: यह समुद्री रोबोटिक उपकरण है, जो पानी की गहराई में परीक्षण करने में सक्षम है। फोटो लेने, उनकी पहचान करने में सक्षम है। पानी में किसी तरह के खतरे को भांप सकता है।
2- स्वदेशी ड्रोन: इसका इस्तेमाल सेना जासूसी, दुर्गम रास्तों और लड़ाई के समय करती है। यह ड्रोन तस्वीरें खींचने सहित कई महत्त्वपूर्ण कार्यों में प्रयोग होता है।
3- स्विच अनमैन्ड एरियल व्हीकल: यह उपकरण अधिक ऊंचाई और पहाड़ों की चोटियों पर पहुंचने में सक्षम है। इसे विपरीत परिस्थितियों में प्रयोग किया जाता है।
4- फिक्स्ड-विंग वीटीओएल: वीटीओएल यानी वर्टिकल टेक ऑफ लैंडिंग। यह दिन-रात निगरानी और संवेदनशील इलाकों के लिए टोही उपकरण है। सेना के मिशन में बहुत उपयोगी है।
5- इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम: उपग्रह-आधारित इमेजिंग, सीमा निगरानी, चिकित्सा इमेजिंग, एक्सेस कंट्रोल के लिए इसका उपयोग हो रहा है। विजन क्षमता 30 किमी है।
2 बिलियन डॉलर तक कम करना है आयात-
सरकार का लक्ष्य वर्ष 2022 तक विदेशों से रक्षा उपकरणों, हथियारों का आयात 2 बिलियन डॉलर यानी 14843 करोड़ रुपए तक कम करना है। 2030 तक भारत का रक्षा उत्पाद बाजार 70 बिलियन डॉलर (5195 अरब रु.) होने की उम्मीद है।
हथियारों के सबसे बड़े खरीदार-
सऊदी अरब – 11%
भारत – 9.5%
मिस्र – 5.8%
ऑस्ट्रेलिया – 5.1%
चीन – 4.7%
(पाकिस्तान 10वें नंबर पर है)
इनसे इतने हथियार खरीदते हैं हम-
रूस-49%
फ्रांस – 18%
इजराइल – 13%
अमरीका – 10%
(स्रोत: स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट, वर्ष 2021 )