जस्टिस मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का नेतृत्व कांग्रेस कर रही थी और कपिल सिब्बल इस मिशन के प्रमुख नेताओं में शुमार थे। ऐसे में सिब्बल अब खुद जस्टिस मिश्रा की अदालत में जाने से बचना चाहते हैं, क्योंकि मौजूदा स्थिति यह है कि उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव को खारिज कर चुके हैं। ऐसे में जस्टिस मिश्रा को सेवानिवृत्ति तक पद से हटाया जाना बेहद मुश्किल है। कयास लगाए जा रहे हैं कि सिब्बल को कहीं ना कहीं पहले ही इस प्रस्ताव के खारिज होने का अंदेशा था। सिब्बल के इस बयान को सियासी और वकालत के करियर में सामंजस्य माना जा सकता है।
सिब्बल ने कहा कि उनका यह फैसला पेशेवर मूल्यों के अनुरूप है। उनका कहना था कि अगर जस्टिस दीपक मिश्रा सेवानिवृत्ति तक सुनवाई करेंगे तो यह मानकों के खिलाफ होगा। आपको बता दें कि सिब्बल इस समय अयोध्या विवाद और कार्ति चिदंबरम के खिलाफ आईएनएक्स मामले समेत कई अहम मुकदमों की पैरवी कर रहे हैं। ऐसे में उनके कोर्ट ना जाने से कई बड़े राजनेताओं पर भी असर पड़ सकता है।
महाभियोग: कांग्रेस का आरोप, सीजेआई दीपक मिश्रा के कार्यकाल में आए गलत फैसले