दिल्ली में तेज हुआ प्रचार अभियान (Delhi Assembly Election)
दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपने प्रचार अभियान को तेज कर दिया है। इसके तहत दिल्ली में सियासी पारा सातवें आसमान पर है। आम आदमी पार्टी जहां खुद को ईमानदारी और स्वच्छ छवि वाला बताकर चुनाव जीतने के पूरे प्रयास में है। वहीं भाजपा और कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को भ्रष्टाचारी बताकर अपने पक्ष में मतदान की अपील कर रही है। इस बीच राजस्थान के फलोदी सट्टा बाजार ने चौंकाने वाला दावा किया है। फलोदी सट्टा बाजार ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी को इस बार तगड़ा झटका लगने की बात कही है।
किस पार्टी को दिल्ली चुनाव (Delhi Assembly Election) में कितनी सीटें?
फलोदी सट्टा बाजार के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार सबसे ज्यादा फायदा भारतीय जनता पार्टी को होने वाला है। वहीं आम आदमी पार्टी को सबसे ज्यादा घाटा बताया गया है। जबकि कांग्रेस भी पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार बेहतर स्थिति में नजर आ रही है। फलोदी सट्टा बाजार ने दिल्ली चुनाव में भाजपा को 25 से 35 सीटें मिलने की बात कही है। जबकि कांग्रेस को भी तीन सीटों पर जीत मिलने का दावा किया है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी को इस बार चुनाव में 37 से 39 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की है। आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) को तगड़ा नुकसान
अगर फलोदी सट्टा बाजार की भविष्यवाणी को सच माना जाए तो इस बार दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) को तगड़ा झटका लगता दिखाई दे रहा है। दरअसल, साल 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 70 में से 62 सीटों पर जीत मिली थी। इसके साथ आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत 53.57 था। वहीं भाजपा को सिर्फ आठ सीटों पर ही जीत मिली थी। इसके साथ ही भाजपा का वोट प्रतिशत करीब 33 था। अगर इस बार फलोदी सट्टा बाजार की भविष्यवाणी सच साबित होती है तो आम आदमी पार्टी को वोट प्रतिशत में तगड़ा नुकसान होने वाला है। हालांकि दिल्ली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 36 है। ऐसे में दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार एक बार फिर बनती जरूर दिखाई दे रही है।
कांग्रेस (Congress) को कितना फायदा
फलोदी सट्टा बाजार की भविष्यवाणी के अनुसार दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस को भी तीन सीटें मिलने की बात कही गई है। जबकि साल 2020 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का दिल्ली में सूफड़ा साफ हो गया था। जबकि कांग्रेस के पक्ष में चुनाव के दौरान सिर्फ 10 से 11 प्रतिशत मतदान हुआ था। ऐसे में इस बार अगर कांग्रेस तीन सीटें जीतने में कामयाब हो जाती है तो वोट प्रतिशत बढ़ने के साथ ही दिल्ली में कांग्रेस का 10 साल बाद खाता खुल जाएगा। डिस्क्लेमर: सट्टा बाजार के आंकड़े सिर्फ अनुमानित होते हैं। पत्रिका टीम किसी भी सट्टे का समर्थन नहीं करती है।