कैसे मिलता है सरकारी आवास?
साल 1992 में हाउसिंग और शहरी विकास मंत्रालय के अधीन डायरेक्टरेट ऑफ़ स्टेट्स (DoE) नाम का विभाग बनाया गया था। यह विभाग सांसदों को सरकारी बंगला आवंटित करता है। डायरेक्टरेट ऑफ़ स्टेट्स विभाग, जनरल पूल रेजिडेंशियल एकोमोडेशन एक्ट, संक्षिप्त में GPRA एक्ट नियम के तहत बंगला अलॉट करता है। इसी नियम में बताई गई शर्तों और नियमों के मुताबिक, सरकारी लोगों को दिल्ली और उसके बाहर की भी कई लोकेशन पर सांसद को बंगले दिए जाते हैं। बता दें कि सांसदों के आवास देने की प्रक्रिया में DoE के अलावा लोकसभा और राज्यसभा की हाउसिंग कमेटी निर्णायक रोल निभाती है।
लोकसभा पूल में कुल 517 घर
लोकसभा पूल में कुल 517 घर हैं, इसमें टाइप-8 बंगले से लेकर छोटे फ्लैट और हॉस्टल भी शामिल हैं। आवास अलॉट करने की जिम्मेदारी हाउस कमेटी की होती है। सांसदों द्वारा दिए गए आवेदन के आधार पर हाउस कमेटी बंगले का आवंटन करती है। लोकसभा पूल के लिए उपलब्ध रिहायशी आवास में 159 बंगले, 37 ट्विन फ्लैट, 193 सिंगल फ्लैट, 96 बहुमंजिला इमारत में फ्लैट और 32 इकाइयां सिंगल घर के मौजूद है।