इस बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों उनके पास ममता बनर्जी के समर्थन के बदले 50 लाख रुपए देने संबंधी एक कॉल आया था।
हालांकि अब्दुल्ला ने इस कॉल को फर्जी (Fake Call) बताया और आरोप लगाया कि उन्हें फंसाने की साजिश रची जा रही है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला।
बंगाल में हाई हुआ सियासी पारा, शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को लेकर कह डाली इतनी बड़ी बात फारूक अब्दुल्ला ने एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें फेक कॉल के जरिए फंसाने की कोशिश की जा रही है। अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें एक कॉल आया जिसके जरिए उन्हें कहा गया कि अगर वो पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) के पक्ष में प्रचार करेंगे, तो उन्हें 50 लाख रुपये मिलेंगे।
अब्दुल्ला ने उधमपुर में अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ये बात कही। उन्होंने कहा, ‘इसी महीने मुझे झारखंड से एक फोन आया था, जिसमें मुझे कहा गया कि झारखंड के सीएम साहब मुझसे बात करेंगे।
जब कि वे उस समय पर दूसरे कॉल पर बिजी थे। लगभग आधे घंटे बाद मुझे दोबोरा फोन आया, तब मुझे कहा गया कि झारखंड के मुख्यमंत्री ने कहा है कि वे ममता बनर्जी के समर्थन के लिए पश्चिम बंगाल जा रहे हैं। अगर आप भी ममता बनर्जी का समर्थन करने के लिए चलेंगे तो 50 लाख रुपए मिलेंगे।’
पूर्व पीएम को भी फंसाने की कोशिश
फारूक ने ना सिर्फ खुद को बल्कि पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा को भी फंसाने की कोशिश का आरोप लगाया। फारूक ने कहा कि मैंने खुद झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की पार्टी के एक सांसद से बात की।
उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है। इतना ही नहीं उस सांसद ने ये भी बताया कि ऐसा ही एक कॉल पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा को भी आया था। फारूक के मुताबिक ये विपक्षी दलों की उन्हें फंसाने की चाल है।
जिसकी कंपनी करती है रफाल से जैसे लड़ाकू विमानों का निर्माण, उसके मालिक की हेलिकॉप्टर क्रैश में गई जान लोगों को उम्मीद, कायम रहे भारत-पाक के बीच बनी सहमतिफारूक अब्दुल्ला ने कहा- जम्मू-कश्मीर के लोग प्रार्थना कर रहे हैं कि संघर्ष विराम पर भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में बनी सहमति कायम रहेगी क्योंकि इससे उन्हें कुछ राहत मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘सीमा पर तनाव से स्थानीय लोगों के जीवन में सिर्फ दुख और पीड़ा आती है, कृषि व आर्थिक गतिविधियां थम जाती है और समाज के हर क्षेत्र में जीवन के तौर तरीकों पर असर पड़ता है।’