दरअसल, 11 साल पहले गुप्तेश्वर पांडे बिहार की बक्सर लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। डीजेपी गुप्तेश्वर पांडे को 2009 में उम्मीद थी कि बक्सर से बीजेपी तत्कालीन सांसद लालमुनि चौबे को पार्टी की ओर से दोबारा प्रत्याशी नहीं बनाएगी। इसके उलट लालमुनि चौबे 2009 में भी बक्सर से लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी से टिकट लेने में कामयाब रहे। यही वजह रहा कि 2009 में गुप्तेश्वर पांडेय चुनाव नहीं लड़ पाए थे। हालांकि उन्होंने 2009 में वीआरएस के लिए आवेदन दे दिया था।
Bihar DGP Gupteshwar Pandey इस सीट से लड़ेंगे चुनाव, सियासी पिच पर नीतीश का देंगे साथ लोकसभा चुनाव 2009 में बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के 9 महीने बाद गुप्तेश्वर पांडे ने बिहार सरकार से कहा कि वे अपना इस्तीफा वापस लेना चाहते हैं और नौकरी करना चाहते हैं। बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने उनकी इस अर्जी को स्वीकार करते हुए इस्तीफा वापस करा दिया था।
सीएम नीतीश कुमार के सहयोगी रुख की वजह से गुप्तेश्वर पांडे ( Gupteshwar Pandey ) की पुलिस सर्विस में नौकरी में वापसी हो गई। 2009 में जब पांडे ने वीआरएस लिया था तब वो आईजी थे। 10 साल बाद उन्हें नीतीश कुमार ने ही बिहार का डीजीपी बनाया था।
अब एक बार फिर बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने अचानक स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली है। इस बार राज्यपाल ने उनके आवेदन को स्वीकार भी कर लिया। बिहार गृह विभाग ( Home department Bihar ) ने इस बात की पुष्टि कर दी है। बिहार के गृह विभाग की ओर से मंगलवार की देर शाम जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि राज्यपाल फागू चौहान ने पांडेय के अनुरोध को मंजूरी दे दी है।
IPL 2020 : कोलकाता नाइटराइडर्स पर मुंबई इंडियंस का पलड़ा भारी बता दें कि गुप्तेश्वर पांडेय हाल में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में जांच को लेकर उद्धव ठाकरे सरकार से विवाद की वजह से सुर्खियों में आए थे। सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई जांच की स्वीकृति मिलने के बाद उनके द्वारा उठाए गए कदमों की काफी सराहना हुई थी। साथ ही मीडिया में कई दिनों तक सुर्खियों में बने रहे थे। इस बार तभी से इस बात की चर्चा हो रही थी कि गुप्तेश्वर पांडेय बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। ये बात अलग है कि उन्होंने खुद इस बात की अभी तक पुष्टि नहीं की है।