स्वामी के इस बयान से ये साफ है कि भारत को लेकर राजपक्षे के नेतृत्व का फायदा मिल सकता है। दरअसल राजपक्षे और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उन दो मुलाकातों को भी प्रमुखता से जगह दी जा रही है जिसमें पीएम मोदी ने समय निकालकर अपने श्रीलंकाई दौरे के दौरान राजपक्षे से मुलाकात की. राजपक्षे भारत भी आए और पीएम मोदी से मुलाकात की। इससे भी बड़ी बात यह है कि भारत आने से पहले राजपक्षे ने पूर्व विदेश मंत्री और अपनी पार्टी के प्रवक्ता जीएल पेरिस को भारत भेजा और दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रगाढ़ बनाने पर जोर दिया।
ईसीटी के अलावा और भी कई प्रोजेक्ट हैं, जिसे भारत वहां शुरू करने वाला है, जैसे-त्रिंकोमाली ऑयल टैंक फार्म्स, जाफना में पलाली एयरपोर्ट, हंबनटोटा में मट्टाला एयरपोर्ट और कोलंबो के पास एलएनजी टर्मिनल का निर्माण। हाल में भारतीय कंपियनों को वहां हाउसिंग प्रोजेक्ट का ठेका मिला है, जो पहले चीनी कंपनियों के पास था। ये कुछ ऐसे बदलाव हैं, जो भारत और श्रीलंका के बीच रणनीतिक रिश्ते को तय करेंगे क्योंकि श्रीलंका में भारत के कई रणनीतिक हित दांव पर लगे हैं। ऐसे में स्वामी ने अपने बयान में संकेत दे दिया है राजपक्षे के आने से भारत-श्रीलंका के रिश्तों को मजबूती मिलेगी।