बाबुल ने कहा कि समाजसेवा करने की लिए जरूरी नहीं है कि राजनीति में रहें। वे इससे अलग होकर भी अपने उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वे हमेशा से भाजपा के साथ जुड़े थे.. अभी भी जुड़े हैं और आगे जुड़े रहेंगे। अब उनके इस फैसले को वो (पार्टी के शीर्ष नेतृत्व) समझ पाएंगे।
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बता दें कि सुप्रियो ने बीते शुक्रवार को फेसबुक पर एक के बाद एक कई पोस्ट की थीं। जिसमें उन्होंने इशारो-इशारों में राजनीति को छोड़ने के संकेत दिए थे। उसके एक दिन बाद सुप्रियों ने अपने फेसबुक पर ‘अलविदा’ लिखकर राजनीति छोड़ने का एलान कर दिया है।
बाबुल सुप्रियो ने इस बात का भी जिक्र किया है कि वे काफी लंबे समय से पार्टी छोड़ना चाहते थे.. वे मन बना चुके थे कि अब राजनीति में नहीं रहना है.. लेकिन गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें बार-बार रोका और फिर मजबूरन उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा। लेकिन अब चूंकि कुछ नेताओं के साथ उनके मतभेद शुरू हो गए थे और कुछ विवाद जनता के बीच आने लगे थे ऐसे में उन्होंने राजनीति को छोड़ना ही सही समझा। उन्होंने कहा ‘मैं एक महीने के भीतर अपना घर (सरकारी आवंटित आवास) छोड़ दूंगा। मैं संसद सदस्य पद से भी इस्तीफा दे रहा हूं।”
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उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में पश्चिम बंगाल में पार्टी के पास कई बड़े-बड़े और युवा नेता हैं। नौजवान और तजुर्बेकार दोनों तरह के नेता पार्टी में हैं। यदि कोई पार्टी छोड़ भी देता है तो उससे कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है। जिस वक्त उन्होंने भाजपा का दामन थामा था तब बंगाल में ऐसी स्थिति नहीं थी और मैं इकलौत बड़ा चेहरा था, लेकिन आज पार्टी के पास कई बड़े नेता हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बड़ी जीत हासिल करने के बाद से अब विधानसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी दल के तौर पर पार्टी उभरी है।
बाबुल ने अपने पोस्ट में भावुक अंदाज में लिखा है कि उन्होंने 1992 में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की नौकरी छोड़कर मुंबई भागते वक्त जो किया था, आज फिर से उन्होंने वही किया है। बाबुल के इस्तीफे को लेकर अभी तक किसी बड़े नेता की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।