इस चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर साफ कर दिया कि लोगों ने प्रधानमंत्री की क्षमता पर भरोसा जताया है। बीजेपी ने बिहार में प्रदर्शन भी बेहतर किया। हालांकि इससे पहले ही बिहार की जनता बीजेपी को लेकर अपना रुख साफ कर चुकी थी। आम चुनाव में बीजेपी ने यहां 40 में से 39 सीटों पर कब्जा जमाया था।
बीजेपी ने बिहार के नतीजों ने ये भी साबित कर दिया कि अब वो प्रदेश में बेहतर स्थिति में है। छोटे भाई से जुड़वां और अब बड़े भाई की भूमिका तक का सफर तय किया है। यानी बीजेपी को यहां मिला मजबूत आधार ये दर्शाता है पार्टी सही दिशा में आगे बढ़ रही है।
अब तक बीजेपी को विरोधी गठबंधन के चलते नुकसान झेलना पड़ा है। लेकिन बिहार के नतीजों के साथ बीजेपी ने उन दलों को भी सबक सिखा दिया है, जो एनडीए के लिए चुनौती बने हुए हैं। जैसे महाराष्ट्र में विभिन्न दलों ने मिलकर भी बढ़ते बावजूद बीजेपी को सरकार नहीं बनाने दी थी।
बीजेपी की राजनीतिक दिशा को देश के अन्य 12 राज्यों से आए उपचुनावों के नतीजों ने भी मुहर लगा दी है। इससे बीजेपी और खास तौर पर पीएम मोदी की लहर को अब भी बरकरार रखने का संकेत भी दिया है।
बीजेपी के लिए भले ही खुशी देने वाले नतीजे रहे हों, लेकिन तेजस्वी ने अपनी युवा सोच के साथ जनता के बीच जबरदस्त जगह बनाई। सधी हुई राजनीति और सटीक मुद्दों को लेकर वे जनता के बीच उतरे और इसका अच्छा परिणाम भी उन्हें मिला। ये परिणाम बताता है कि उनका राजनीतिक भविष्य सुनहरा है।
कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन प्रदर्शन एक बार फिर निराशाजनक रहा। पिछले चुनाव की तुलना में कांग्रेस ज्यादा सीटों पर लड़ी पर कमाल नहीं दिखा पाई। ऐसे में पार्टी के लिए बार फिर मंथन का वक्त आ चुका है। आखिर कांग्रेस चूक कहां हो रही है? चुनाव दर चुनाव पार्टी पिछड़ रही है।
बिहार चुनाव में कांग्रेस के सामने स्टार प्रचारकों की कमी भी बड़ी वजह रही खराब प्रदर्शन की। ना तो प्रियंका और ना ही सोनिया गांधी बिहार पहुंची। इसके अलावा दिग्गज नेता भी बिहार से दूर ही रहे। इसका असर परिणामों पर दिखा।
बिहार समेत अन्य राज्यों के उपचुनावों ने बीजेपी का पलड़ा एक बार फिर भारी कर दिया है। इसका असर पश्चिम बंगाल समेत आगामी विधानसभा चुनावों पर दिखाई देगा। 9. नोटबंदी के बाद कोरोना संकट को भी हरी झंडी