ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल की सीटों पर सेंध मारी है। सीमांचल इलाके में मुस्लिमों में आबादी अच्छी है। ऐसे में ओवैसी ने उस इलाके में जीत कर यह साफ कर दिया है कि मुस्लिम उनको अपना नेता मानने लगे हैं। अभी तक इन सीटों से कांग्रेस और आरजेडी के उम्मीदवार जीतते रहे हैं।
एआईएमआईएम ने राज्य की सीमांचल क्षेत्र में बड़ी संख्या में सीटों पर कब्जा कर लिया गया है, जिसे एक मजबूत गढ़ के रूप में देखा जा रहा है। यही वजह है की ओवैसी की पार्टी प्रदेश की अगली सरकार के गठन में अहम भूमिका निभा सकती है।
AIMIM के राष्ट्रीय प्रवक्ता असीम वकार के मुताबिक पार्टी त्रिशंकु विधानसभा के मामले में किसके साथ जा सकती है इस पर फिलहाल फैसला नहीं लिया है। इस पर अंतिम फैसला निश्चित रूप से असदुद्दीन ओवैसी ही लेंगे। लेकिन इतना साफ है कि पार्टी की लड़ाई हमेशा भगवा पार्टी के खिलाफ रही है।
कांग्रेस पहले ही एआईएमआईएम पर चुनाव के दौरान कड़े प्रहार कर चुकी है। तीसरे चरण के मतदान के दौरान ही कांग्रेस ने ओवैसी की पार्टी को बीजेपी की बी-टीम करार दिया था। यही नहीं बीजेपी के साथ मिलीभगत का आरोप भी लगाया था।
कांग्रेस की बिहार इकाई के प्रमुख मदन मोहन झा ने कहा था कि एआईएमआईएम का विधानसभा चुनावों पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि लोग अपने वोटों को “बर्बाद” नहीं करेंगे।