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Bihar Assembly Election : भाकपा माले ने तेजस्वी की बढ़ाई टेंशन, सीट शेयरिंग पर कांग्रेस झुकने को तैयार नहीं

भाकपा माले के दीपांकर भट्टाचार्य ने 53 सीटों पर जीत का दावा ठोका।
2015 विधानसभा चुनाव के फार्मूले पर वामपंथी पार्टियां सीट शेयरिंग को तैयार नहीं।
अब तो कांग्रेस ने भी पहले से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की मंशा जताई।

Sep 19, 2020 / 10:14 pm

Dhirendra

Tejashwi Yadav

भाकपा माले के दीपांकर भट्टाचार्य ने 53 सीटों पर जीत का दावा ठोका।

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव ( Bihar Assembly Election ) प्रचार के बची महागठबंधन में शामिल दलों के बीच सीट शेयरिंग का मसला एक बार फिर फंस गया है। इस मामले में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने अपनी रणनीति के तहत हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम मांझी को महागठबंधन छोड़कर जाने के लिए मजबूर किया था। साथ ही आरएलएसपी व वीआईपी को विकल्पहीन बनाने के बाद वामपंथी पार्टियों को एक साथ जोड़कर चुनाव लड़ने पर जोर दिया था। वामपंथियों के भरोसे उन्होंने महागठबंधन में मजबूती का दावा भी किया था।
अब वही वामपंथी पार्टियां तेजस्वी के लिए सियासी मजबूरी बन गई हैं। दरअसल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माले ने महागठबंधन से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए 53 सीटों पर जीत का दावा ठोका है। भाकपा माले के इस दावे को आरजेडी ने खारिज कर दिया है। आरजेडी के इस रणनीति को देखते हुए भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने साफ कर दिया है कि राष्ट्रीय जनता दल अगर 2015 विधानसभा चुनाव के फार्मूले पर सीट शेयरिंग करना चाहता है तो हम उसके लिए तैयार नहीं हैं।
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इसके बदले दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि सीट शेयरिंग 2020 लोकसभा चुनाव की तर्ज पर होनी चाहिए। अगर इस बात पर गठबंधन नहीं होता है तो उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार है।
भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि हमारी मांग है कि लोकसभा चुनाव में हुए तालमेल को ही सीट शेयरिंग का आधार माना जाए। जहां तक वामदलों के आपसी सहयोग की बात है, हम तीनों साथ में चुनाव लड़ेंगे।
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भाकपा माले के इस रुख से आरजेडी नेता तेजस्वी की परेशानी बढ़ गई है। इसकी वजह यह है कि तेजस्वी ने ही वामपंथी दलों को महागठबंधन में शामिल होने की वकालत की थी। साथ ही हम, आरएलएसपी और वीआईपी पार्टी को तवज्जो नहीं दी। अब भाकपा माले ने तेजस्वी से 53 सीटों की मांग कर दी है।
सीट शेयरिंग का मामला के छोटी पार्टियां तक ही नहीं हैं। आरजेडी और कांग्रेस के बीच भी सीट शेयरिंग का मसला नहीं सुलझा है। कांग्रेस के एक बड़े नेता तो यहां तक कह दिया कि हम तो 200 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। जबकि महागठबंधन में उपेन्द्र कुशवाहा और मुकेश सहनी खुद को ठगे महसूस कर रहे हैं।
ये बात अलग है कि बीती रात आरजेडी के युवा नेता तेजस्वी यादव और उपेंद्र कुशवाहा की बैठक पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर हुई थी। सीट शेयरिंग को लेकर दोनों नेताओं के बीच लंबी मंत्रण हुई लेकिन डील फाइनल हुई या नहीं, इसको लेकर कोई जवाब नहीं मिला है।

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