scriptBihar Assembly Election :  इस बार जीत की कम, सीएम बनने को लेकर सियासी जोड़तोड़ ज्यादा | Bihar Assembly Election : less this time of victory, more political manipulations to become CM | Patrika News
राजनीति

Bihar Assembly Election :  इस बार जीत की कम, सीएम बनने को लेकर सियासी जोड़तोड़ ज्यादा

नीतीश कुमार के चौथी बार सीएम बनने की राह में बीजेपी सबसे बड़ी बाधा।
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का पहले से नीतीश को सीएम नहीं बनने देने का घोषित एजेंंडा है।
जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार हर हाल में चौथी और अंतिम बार बिहार का सीएम बनना चाहते हैं।

Oct 03, 2020 / 11:05 am

Dhirendra

Nitish-Sushil-Tejashwi

नीतीश कुमार के चौथी बार सीएम बनने की राह में बीजेपी सबसे बड़ी बाधा।

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव ( Bihar Assembly Election ) को लेकर सियासी घमासान चरम पर पहुंच गया है। 2015 की तुलना में इस बार चुनावी फिजां अगल है। इस बार बिहार के प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच न तो किसी के डीएनए की चर्चा है, न ही बाढ़ या कोरोना वायरस संकट को लेकर आरोप-प्रत्यारोप। इतना ही नहीं इस बार बेरोजगारी, जंगलराज व विकास का मुद्दा भी चर्चा में नहीं है।
इस बार खास बात यह है कि जेडीयू नेता नीतीश कुमार चौथी व अंतिम बार बिहार का सीएम बनने की जुगत में अभी से लग गए हैं। वहीं बीजेपी और आरजेडी की कोशिश है कि नीतीश कुमार को सीएम न बनने दिया जाए। हालांकि, बीजेपी के नेता इस बात की चर्चा खुलकर नहीं करते हैं।
महागठबंधन में फूट नीतीश की चाल

इस बात को जेडीयू सुप्रीमो व सीएम नीतीश कुमार भांप चुके हैं। यही वजह है कि उन्होंने विरोधियों की चाल को अभी से मात देने में जुट गए हैं। इस रणनीति के पीछे उन्होंने आरजेडी को कमजोर करने के लिए उसमें फूट डाला और हम नेता जीतनराम मांझी को अपने पाले कर महागठबंधन के हाथ से दलित कार्ड छीन लिया। इस समय नीतीश कुमार अपने विरोधी व पुराने करीबी आरएलएसपी के नेता उपेंद्र कुशवाहा से भी अंदरखाते गुफ्तगू कर रहे हैं।
हालांकि सीएम नीतीश कुमार आरएलएसपी नेता उपेंद्र कुशवाहा के साथ सियासी खिचड़ी अभी तक नहीं बना पाए हैं। फिलहाल उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए और महागठबंधन से जुदा होकर अपनी अलग राह पकड़ ली है। इसके पीछे भी उनकी रणनीति चुनाव बाद सीएम पद के मोलभाव में अपनी अहमियत को बनाए रखने की है।
Bihar Assembly Election : आज नामांकन का दूसरा दिन, पहले चरण में 7 मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर

एनडीए में सबसे ज्यादा सीटों पर ठोका दावा

एलजेपी नेता चिराग पासवान की ओर से मुखर विरोध के पीछे नीतीश कुमार को बीजेपी की चाल का भी अहसास है। इसलिए वो चाहते हैं कि सीट शेयरिंग के मुद्दे पर भले ही बीजेपी से जेडीयू को एक ही सीट ज्यादा क्यों न मिले, उसे वो लेकर रहेंगे। ऐसा इसलिए कि बीजेपी को ज्यादा सीट मिलने पर नीतीश कुमार सीएम की रेस से चुनाव प्रचार के दौर में ही बाहर हो सकते हैं। यही वजह है कि उन्होंने सीट की हिस्सेदारी को लेकर जेडीयू नेता पहले के स्टैंड पर कायम हैं। जेडीयू ने साफ कर दिया है कि बिहार एनडीए में वो पहले की तरह बड़े भाई की भूमिका में बने रहेंगे।
चिराग की जिद के पीछे बीजेपी का हाथ

दूसरी तरफ बीजेपी की योजना एनडीए के सहयोगी दलों के साथ हर हाल में चुनाव लड़ने की है। लेकिन बीजेपी चाहती है कि सीटों का आंवटन और विभिन्न दलों के बीच सियासी समीकरण इस तरह बने, जिससे चुनाव बाद नीतीश कुमार को चौथी बार सीएम बनने से रोकना संभव हो सके। चिराग पासवान की ओर से नीतीश का खुलकर विरोध करने के पीछे भी बीजेपी की इस नीति को ही प्रमुख वजह माना जा रहा है।
जेपी नड्डा से बार-बार और दो दिन पहले अमित शाह से चिराग की मुलाकात के बाद नीतीश को इस बात का पूरा भरोसा हो गया है कि बीजेपी चुनाव के बाद अपनी पार्टी के किसी नेता को सीएम बनाना पसंद करेगी। इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने एक बार फिर कांग्रेस से भीतरखाते नजदीकी बना ली है। कहने का मतलब है कि नीतीश कुमार इस बार महाराष्ट्र वाला एपिसोड बिहार में दोहरा सकते हैं। बताया तो यहां तक जा रहा है कि सीएम नीतीश चुनाव बाद बीजेपी को धोखा देकर चौथी और अंतिम बार बिहार का सीएम बनने की रणनीति पर अभी से काम कर रहे हैं।
Bihar Election : महागठबंधन में सीट बंटवारे पर पेंच, आरजेडी का ऑफर कांग्रेस को स्वीकार नहीं, अब इस बात के संकेत

आरजेडी कांग्रेस को ज्यादा भाव देने के पक्ष में नहीं

चुनावी हलचल के बाद से आरजेडी के रुख में भी एक बड़ा परिवर्तन आया है। तेजस्वी यादव पिछले कुछ दिनों से महागठबंधन में शामिल छोटे दलों के साथ कांग्रेस को भी ज्यादा भाव नहीं दे रहे हैं। इसके पीछे उनकी सोच यह है कि नीतीश कुमार को इस बार सीएम नहीं बनने देना है। इस मामले में आरजेडी और बीजेपी एक ही सियासी पाले में दिखाई दे रही है। इस रणनीति के तहत आरजेडी ने हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा और आरएलएसपी से पूरी तरह से दूरी बना जी है।
आरजेडी कांग्रेस को 243 में से 70 सीटें भी नहीं देना चाहती है। इतना ही नहीं विकासशील इंसान पार्टी को 10, सीपीएम माले को 19 और सीपीआई व सीपीआईएम को 10 सीटों पर संतोष करने का भी साफ संकेत दे चुके हैं। जबकि आरजेडी खुद 135 से 40 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।
PM Modi ने रोहतांग में अटल सुरंग का किया उद्घाटन, अब मनाली और लेह के सफर में लगेगा कम समय

अब 5 साल पहले जैसी नहीं रहीं नीतीश की छवि

बिहार में वर्तमान राजनीतिक हालात बता रहे हैं कि जेडीयू-बीजेपी-एलजेपी गठबंधन विपक्ष के मुकाबले मजबूत है। लेकिन एक बात तय है कि अब नीतीश कुमार की इमेज पांच साल पहले जैसी नहीं है। चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि भ्रष्टाचार, मुजफ्फरपुर कांड, बाढ़ और कोरोना संकट पर सरकार के रवैये से जनता में उनकी इमेज खराब हुई है। इसलिए चौथी बार सीएम बनने के रास्ते में उनके सामने एक नहीं कई चुनौतियां हैं।
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज के एक अनुमान में भी बताया जा चुका है कि ये बात सही है कि विपक्ष जेडीयू-बीजेपी को चुनौती देने की स्थिति में नहीं है। लेकिन नीतीश कुमार के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती हो सकती है वो खुद बीजेपी है। बीजेपी ने अगर जेडीयू से ज्यादा सीटें जीत ली तो नीतीश कुमार के लिए फिर से सीएम बनना मुश्किल हो जाएगा।

Hindi News / Political / Bihar Assembly Election :  इस बार जीत की कम, सीएम बनने को लेकर सियासी जोड़तोड़ ज्यादा

ट्रेंडिंग वीडियो